आषाढ़ शुक्लपक्ष व्रत - रथयात्रा

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


( स्कन्द ) -

आषाढ़ शुक्ल द्वितीयाको पुष्यनक्षत्र हो तो सुभद्रासहित भगवानको रथमें विराजित कर यात्रा करावे और वापस पधार आनेपर यथास्थान स्थापित करे । इस दिन पुरीमें श्रीजगदीशभगवानको सपरिवार विशाल रथपर आरुढ़ करके भ्रमण करवाते है । उस दिन वहाँ रथयात्राका आद्वितीय उत्सव होता है । देश - देशान्तरके लाखों नर - नारी एकत्र होते हैं । उसी दिन अन्यत्र ( जयपुर आदिमें ) भगवान रामचन्द्रजीको रथारुढ़ करके मन्दिरसे दूसरी जगह ले जाकर वाल्मीकिरामायणके युद्धकाण्डकर पाठ सुनाते हैं और वहीं मुक्ताधान्यसे बीजवपन करके चातुर्मासीय कृषिकार्यका शुभारम्भ करते हैं । यह तो स्पष्ट ही है कि उस दिन भगवद्भक्तोंके यहाँ व्रत होता है और महोत्सव मनाया जात है ।

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Last Updated : January 16, 2012

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