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हे हरि ब्रजबासिन मुहिं की...

भजन - हे हरि ब्रजबासिन मुहिं की...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे ॥

चह ब्रज ग्वाल बाल गिपिनके चह ब्रज बनचर कीजे ।

चह ब्रज धेनु चाहि ब्रज बछरा चह ब्रज तृणचर कीजे ॥

चह ब्रज लता चहै ब्रज सरिता चह ब्रज जलचर कीजे ।

चह ब्रज कीच नीच ऊँचन घर चह ब्रज फणचर कीजे ॥

चह ब्रज बाट घाट पनघट रज चह ब्रज थलचर कीजे ।

चह ब्रज भूप-भवनकी किंकरि चह ब्रज घुड़चर कीजे ॥

चह ब्रज चकइ चकोर मोर कर चह ब्रज नभचर कीजै ।

रूपकुँवरि दासी दासिनको चह अनुचरी करीजै ॥

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Last Updated : December 23, 2007

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