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देखो री छबि नन्दसुवनकी । ...

भजन - देखो री छबि नन्दसुवनकी । ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


देखो री छबि नन्दसुवनकी ।

मोर मुकुट मकराकृत कुंडल, मुक्त माल गर मनु किरननकी

देखो र छबि० ॥

कर कंकन कंचनके शोभित, उर भ्रगुलता नाथ त्रिभुवनकी

देखोर री छबि० ॥

तन पहिरे केसरिया बागो अजब लपेटन पित बसनकी

देखो री छबि० ॥

रूपकुँवरि धुनि सुनि नूपुरकी, छबि निरखति श्यामपगनकी

देखो री छबि० ॥

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Last Updated : December 23, 2007

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