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करहु प्रभु भवसागरसे पार ...

भजन - करहु प्रभु भवसागरसे पार ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


करहु प्रभु भवसागरसे पार ॥

कृपा करहु तो पार होत हौं नहिं बूड़ति मँझधार ।

गहिरो अगम अथाह थाह नहिं लीजै नाथ उबार ॥

मैं हौं अधम अनेक जन्मकी तुम प्रभु अधम-उधार ।

रूपकुँवरि बिन नाम श्यामके नहिं जगमें निस्तार ॥

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Last Updated : December 23, 2007

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