हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|दासबोध हिन्दी अनुवाद|आत्मदशक| सूक्ष्मजीवनिरूपणनाम आत्मदशक चातुर्यलक्षणनाम निस्पृहव्यापलक्षणनाम श्रेष्ठअतरात्मानिरूपणनाम शाश्वतब्रह्मनिरूपणनाम चंचललक्षणनिरूपणनाम चातुर्यविवरणनाम अधोर्धनिरूपणनाम सूक्ष्मजीवनिरूपणनाम पिंडोत्पत्तिनिरूपणनाम सिद्धांतनिरूपणनाम समास आठवा - सूक्ष्मजीवनिरूपणनाम ‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है । Tags : dasbodhramdasदासबोधरामदास समास आठवा - सूक्ष्मजीवनिरूपणनाम Translation - भाषांतर ॥ श्रीरामसमर्थ ॥ रेणु से सूक्ष्म कीटक । बहुत छोटा उनका आयुष्य । युक्ति बुद्धि उतनी ही अल्प । होती उनमे ॥१॥ ऐसे नाना जीव रहते । देखने जाओ तो ना दिखते । अंतःकरणपंचक की स्थिति है । उनमें भी ॥२॥उनके योग्य उनका ज्ञान । विषय इंद्रियां समान । सूक्ष्म शरीरों का करके विवरण । देखता कौन ॥३॥उन्हें चींटी अति विशाल । अनजाने चल रहा है कुंजर । चींटी को मूत्र का पूर । कहते यों ॥४॥ उस चींटी के समान शरीर । छोटे बडे है अपार । समस्तों में जीवेश्वर । करता निवास ॥५॥ ऐसा कीडों का समुदाय अपार । उदंड भरा है विस्तार । अत्यंत साक्षपी जो नर । वह देखें विवरण करके ॥६॥ नाना नक्षत्रों में नाना कीडे । उन्हें लगते पर्वत जैसे । आयु भी उसी अनुपात में । लगती दीर्घ ॥७॥ पक्षी इतने छोटे नहीं । पक्षी इतने बडे नहीं । सर्प और मत्स्य भी । इसी तरह ॥८॥ चींटी से बढकर । चढते बढते शरीर । अंतरंग उनका करें निर्धार । तो समझमें आता ॥९॥ नाना वर्ण नाना रंग । नाना जीवनों के तरंग । कोई सुरंग कोई विरंग । कहे भी तो कितने ॥१०॥ कोई सुकुमार कोई कठोर । निर्माण कर्ता जगदीश्वर । सुवर्णसमान शरीर । देदीप्यमान ॥११॥ शरीरभेद आहारभेद । वाचाभेद गुणभेद । अंतरंग में बसता अभेद । एकरूप से ॥१२॥ कोई त्रस्त कोई मारक । देखने पर नाना कौतुक । कई एक अमौलिक । सृष्टि में ॥१३॥ ऐसी सारी विवरण कर देखे । ऐसा प्राणी कौन है । अपने तक ही पहचान लेते । किंचित्मात्र ॥१४॥नवखंड यह वसुंधरा । सप्तसागरों का फेरा । ब्रह्मांड के बाहर की नीरा । कौन देखें ॥१५॥ उस नीरा में जीव रहते । देखने पर वे असंख्यात् है । उन विशाल जीवों की स्थिति ये । कौन जाने ॥१६॥ जहां जीवन वहां जीव । यह उत्पत्ति का स्वभाव । देखने पर इसका अभिप्राव । उदंड है ॥१७॥ पृथ्वी गर्भ में नाना नीर । उन नीरों में शरीर । छोटे बडे नाना प्रकार । कौन जाने ॥१८॥ कुछ प्राणी अंतरिक्ष में रहते । जिन्होंने ना देखी क्षिती । ऊपर ऊपर ही उड़ जाते । पंख निकलने के बाद ॥१९॥ नाना खेचर और भूचर । नाना वनचर और जलचर । लक्ष चौरासी योनि प्रकार । कौन जाने ॥२०॥छोडकर तेज अग्नि । जहां वहां जीवयोनि । कल्पना से होते प्राणी । कौन जाने ॥२१॥ कोई नाना सामर्थ्य से हुये । कोई इच्छा से हुये । कोई शब्द से पाये । उश्राप देह ॥२२॥ कुछ देह बाजीगरी के । कुछ देह अवडम्बरी के । कुछ देह देवताओं के । नाना प्रकार ॥२३॥ कुछ उपजे क्रोध से । कुछ जन्में तप से । कुछ उश्राप से पाये । पूर्वदेह ॥२४॥ भगवंत की करनी ऐसे । कहे भी कितनी कैसे । विचित्र माया के गुणों से । होते रहती ॥२५॥ अनेक अवघट करनी की । किसी ने देखी ना सुनी । विचित्र कला समझनी । चाहिये संपूर्ण ॥२६॥ थोडा बहुत समझ में आया । पेट भरने की विद्या पाया । प्राणी व्यर्थ ही अभिमान में गया । मैं ज्ञाता कहकर ॥२७॥ ज्ञानी एक अंतरात्मा । सर्वो के बीच सर्वात्मा । समझने उसकी महिमा । बुद्धि कैसी ॥२८॥ सप्तकंचुक ब्रह्मांड । उसमें सप्तकंचुक पिंड । उस पिंड में उदंड । प्राणी रहते ॥२९॥ अपने देह का न समझे । फिर वे सारे क्या समझे । लोग होते उतावले । अल्पज्ञान से ॥३०॥ अणु रेणु जैसे जिनस । उनके लिये हम विराट पुरुष । हमारा उदंड आयुष्य । उनके हिसाब से ॥३१॥उनकी रीति प्रथा उनके । नियम अनेक व्यवहार के । जो सभी कौतुक जाने । ऐसा कौन ॥३२॥ धन्य परमेश्वर की करनी । अंतःकरण में ना अनुमान में आती । व्यर्थ ही अहंता पापिनी । डालती घेरा ॥३३॥ अहंता छोड करें विवरण । देव की करनी कितनी महान । देखें तो मनुष्य का जीवन । है थोड़ा ॥३४॥क्षणभंगुर काया थोड़ा जीवन । गर्व करते निष्कारण । गिरने को यह तन । समय ना लगे ॥३५॥ मलिन जगह में जन्म हुआ । और मलिन रस से ही पला । इसे कहते बड़ा । किस हिसाब से ॥३६॥मैला और क्षणभंगुर । अखंड व्यथा चिंतातुर । लोग व्यर्थ ही कहते महान । पागलपन ॥३७॥ काया माया दो दिनों की । आदि अंत में ची ची । मुल्लमा चढाकर व्यर्थ ही । बडप्पन दिखाते ॥३८॥ढांकने पर भी होता प्रकट । जहां तहां फैले दुर्गंध । जो कोई विवेक से होता विशाल । वही धन्य ॥३९॥व्यर्थ ही क्यों झगड़े । अहंता की मस्ती तोड़े । विवेक से देव को ढूंढे । यह उत्तमोत्तम ॥४०॥ इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे सूक्ष्मजीवनिरूपणनाम समास आठवां ॥८॥ N/A References : N/A Last Updated : February 16, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP