हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|दासबोध हिन्दी अनुवाद|मूर्खलक्षनाम| समास छठवां तमोगुणलक्षणनाम मूर्खलक्षनाम समास पहला मूर्खलक्षणनाम समास दूसरा उत्तमलक्षणनाम समास तीसरा कुविद्यालक्षणनाम समास चौथा भक्तिनिरुपणनाम समास पांचवां रजोगुणलक्षणनाम समास छठवां तमोगुणलक्षणनाम समास सातवा सत्वगुणनाम समास आठवां सद्विद्यानिरुपणनाम समास नववां विरक्तलक्षणनाम समास दसवां पढतमूर्खलक्षणनिरूपणनाम समास छठवां तमोगुणलक्षणनाम ‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है । Tags : dasbodhramdasदासबोधरामदास समास छठवां तमोगुणलक्षणनाम Translation - भाषांतर ॥ श्रीरामसमर्थ ॥ पीछे कहा रजोगुण । क्रियासहित लक्षण । अब ऐसा तमोगुण । वह भी कहा जाता ॥१॥ संसार में दुःख संबंध । प्राप्त होने पर उठे खेद । अथवा आये अद्भुत क्रोध । वह तमोगुण ॥२॥ जब शरीर क्रोध से भरता । ना पहचाने माता न पहचाने पिता । बंधु बहन कांता । को ताड़ना दे वह तमोगुण ॥३॥ दूसरों के प्राण ले । अथवा स्वयं के दे । आप्त जनों को भुला दे । वह तमोगुण ॥४॥ क्रोध का होते संचार । करे पिशाचसमान व्यवहार । ना सम्हले नाना उपाय करनेपर । वह तमोगुण ॥५॥ अपना स्वयं शस्त्रपात । करे परायों का घात । समय ऐसा जो करे व्यतीत । वह तमोगुण ॥६॥ आंखों से युद्ध ही देखे । रणभूमि पर जायें । ऐसी इच्छा जीव में । वह तमोगुण ॥७॥ अखंड भ्रांति में पडे । किया निश्चय तोडे । निद्रा अत्यंत प्रिय लगे । वह तमोगुण ॥८॥ क्षुधा जिसकी बहुत । न जाने मिठास अथवा कडवाहट । जो है अत्यंत मूढ । वह तमोगुण ॥९॥ प्रीति पात्र का हुआ मरण । उसके लिये त्यागे प्राण । आत्महत्या करे स्वयं । वह तमोगुण ॥१०॥ कीडा चींटी और श्वापद । करना चाहे इनका वध । अत्यंत जो कृपामंद। वह तमोगुण ॥११॥ स्त्रीहत्या बालहत्या । द्रव्य के लिये ब्रह्महत्या । प्रिय लगे गोहत्या । वह तमोगुण ॥१२॥ ईर्षा के कारण । करना चाहे विष सेवन । परवध करना चाहे मन । यह तमोगुण ॥१३॥ अंतरंग में रख कपट । करे दूसरों का अहित । सदा मस्त सदा उद्घट । वह तमोगुण ॥१४॥ कलह की चाह लगे । लड़ने-झगड़ने की इच्छा उठे । अंतरंग में द्वेष प्रकटे । वह तमोगुण ॥१५॥ युद्ध देखे सुने । स्वयं युद्ध ही करे । मरे अथवा मारे । वह तमोगुण ॥१६॥ मत्सर से भक्ति छोड़े । देवालय बिगाड़े । फलते वृक्ष तोड़े । वह तमोगुण ॥१७॥ सत्कर्म लगते अप्रिय । नाना दोष लगते प्रिय । चित्त में नहीं पापभय । वह तमोगुण ॥१८॥ ब्रह्मवृत्ति का उच्छेद । जीवमात्रों को दे खेद । करना चाहे अप्रमाद । वह तमोगुण ॥१९॥ अग्निप्रलय शस्त्रप्रलय । भूतप्रलय विषप्रलय । मत्सर से करे जीवक्षय । वह तमोगुण ॥२०॥ परपीड़ा का संतोष । निष्ठुरता की आस । संसार का न माने त्रास । वह तमोगुण ॥२१॥ झगड़ा लगा दे । स्वयं कौतुक से देखे । जी में कुबुद्धि रखे । वह तमोगुण ॥२२॥ संपत्ति होते ही प्राप्त । दूसरों को करे पीडित । करुणा न आती जिसके चित्त । वह तमोगुण ॥२३॥ ना चाहे भक्ति ना चाहे भाव । ना चाहे तीर्थ ना चाहे देव । वेदशास्त्र ना चाहे सर्व । वह तमोगुण ॥२४॥ स्नान संध्या नहीं नियम । भ्रष्ट दिखे जिसका स्वधर्म । करे अनुचित कर्म । वह तमोगुण ॥२५॥ जेष्ठ बंधु बाप माता । उनके वचन न सहता । शीघ्र कोप कर निकल जाता । वह तमोगुण ॥२६॥ अकारण खाये अकारण ही रहे । स्तब्ध होकर बैठा रहे । सहज कुछ भी ना स्मरण रहे । वह तमोगुण ॥२७॥ चेटकविद्या का अभ्यास । शस्त्रविद्या की अभिलाषा । जिसे मल्लविद्या की आस । वह तमोगुण ॥२८॥ कांटा लटकाने की मन्नत । बेडी बंधन के सायास । काष्ठयंत्र से जिव्हा छेदन । करे वह तमोगुण ॥२९॥ मस्तक पर जलता खप्पर रखे । मशाल से शरीर जलाये । स्वयं शरीर में शस्त्र चुभाये । वह तमोगुण ॥३०॥ देव को सिर करे अर्पण । अथवा शरीर करे समर्पण । ऊपर से लगाये छलांग । वह तमोगुण ॥३१॥ निग्रह से धरना घरे । अथवा देह टांग कर रखे । देवद्वार पर प्राणार्पण करे । वह तमोगुण ॥३२॥ निराहार उपोषण । पंचाग्नि धूम्रपान । स्वयं को करे दफन । वह तमोगुण ॥३३॥ सकामता का जो अनुष्ठान । अथवा जो वायुनिरोधन । अथवा पड़ा रहे जो अकारण । वह तमोगुण ॥३४॥ नख केश बढाये । हांथ ही ऊपर उठाये । अथवा वाक्शून्य बन जाये । वह तमोगुण ॥३५॥ नाना निग्रहों पीड़ित होये । देहदुःख से चिडचिडा बने । क्रोध से करे देव को फोडे । वह तमोगुण ॥३६॥ देव की जो निंदा करे। यह आशाबद्ध अघोरी । जो संतसंग ना धरे । वह तमोगुण ॥३७॥ ऐसा यह तमोगुण । बोले वह असाधारण । मगर त्यागार्थ निरुपण । किया कुछ ॥३८॥ ऐसा जो करता वह तमोगुण । मगर यह पतन का कारण । मोक्षप्राप्ति के लक्षण । नहीं इस में ॥३९॥ किये कर्मों के फल । प्राप्त होगे सकल । जन्मदुःख का मूल । टूटे नहीं ॥४०॥ होना अगर जन्म का खंडन । चाहिये वह सत्वगुण । उसका ही है निरूपण । अगले समास में ॥४१॥ इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे तमोगुणलक्षणनाम समास छठवां ॥६॥ N/A References : N/A Last Updated : February 13, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP