हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|दासबोध हिन्दी अनुवाद|मूर्खलक्षनाम| समास तीसरा कुविद्यालक्षणनाम मूर्खलक्षनाम समास पहला मूर्खलक्षणनाम समास दूसरा उत्तमलक्षणनाम समास तीसरा कुविद्यालक्षणनाम समास चौथा भक्तिनिरुपणनाम समास पांचवां रजोगुणलक्षणनाम समास छठवां तमोगुणलक्षणनाम समास सातवा सत्वगुणनाम समास आठवां सद्विद्यानिरुपणनाम समास नववां विरक्तलक्षणनाम समास दसवां पढतमूर्खलक्षणनिरूपणनाम समास तीसरा कुविद्यालक्षणनाम ‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है । Tags : dasbodhramdasदासबोधरामदास समास तीसरा कुविद्यालक्षणनाम Translation - भाषांतर ॥ श्रीरामसमर्थ ॥ सुनो कुविद्या के लक्षण । अति हीन कुलक्षण । त्यागार्थ बोले वे श्रवण । करने पर त्यागे जाते ॥१॥ सुनो कुविद्या का प्राणी । जन्म लेकर करता हानि । लक्षण कहे जाते इन्हीं । से पहचानो ॥२॥ कुविद्या का प्राणी रहे । वह कठिन निरुपण से त्रासे । अवगुणों की समृद्धि है । इस कारण ॥३॥॥ श्लोक ॥ दभो दर्पोऽभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च । अज्ञान चाभिजातस्य पार्थ संपदमासुरीम् ॥ छ॥काम क्रोध मद मत्सर । लोभ दंभ तिरस्कार । गर्व ऐंठ अहंकार । द्वेष विषाद विकल्पी ॥४॥ आशा ममता तृष्णा कल्पना । चिंता अहंता कामना भावना । असूया अविद्या ईषणा वासना । अतृप्तता लाचारी ॥५॥ इच्छा वांछा चिकित्सा निंदा । आनित्य ग्रामस्थ मस्ती सदा । दर्प अवज्ञा विपत्ति आपदा । दुर्वृत्ति दुर्वासना ॥६॥ स्पर्धा खटपट और चटपट । सनक बडबड और झटपट । सदा खटपट और लटपट । परम व्यथा कुविद्या ॥७॥ कुरूप और कुलक्षण । अशक्त और दुर्जन । दरिद्र और कृपण । अत्याधिक ॥८॥ आलसी और पेटू । दुर्बल और लातमारु । हेकड़ और धूर्त । अत्याधिक ॥९॥ मूर्ख और क्रोधवंत । पागल और वाचाल । झूठा और मुंहजोर । अत्याधिक ॥१०॥ जाने ना और सुने ना । ना आये और सीखे ना । न करे और देखे ना । अभ्यासदृष्टि ॥११॥ अज्ञान और अविश्वासी । छलवादी और दोषी । अभक्त और भक्तों को । देख सके ना ॥१२॥ पापी और निंदक । त्रस्त और घातक । दुःखी और हिंसक अत्याधिक ॥१३॥ हीन और कृत्रिमी । रोगी और कुकर्मी । कृपण और अधर्मी । वासना में रमता ॥१४॥ हीन देह और अकड । अप्रमाण और डाले फूट । वाहियात और अनअदृष्ट । विवेक जताये ॥१५॥ कायर और उन्मत्त । निकामी और डोलता । डरपोक और बोलता । पराक्रम ॥१६॥ कनिष्ठ और गर्विष्ठ । विषयी और नष्ट । द्वेषी और भ्रष्ट । अत्याधिक ॥१७॥ अभिमानी और निर्लज । कर्जग्रस्त और खल । दांभिक और अनर्गल । अत्याधिक ॥१८॥ बुरा और विकारी । खोटा और अनुपकारी । अवलक्षण और धिक्कारी । प्राणिमात्रों से ॥१९॥ अल्पमति और वादिक । दीनरूप और भेदक । सूक्ष्म और त्रासक । बोले अपशब्द ॥२०॥ कठिनवचनी कर्कश वचनी । कपटवचनी संदेहवचनी । दुःखवचनी तीव्रवचनी । क्रूर निष्ठुर दुरात्मा ॥२१॥ न्यूनवचनी कुत्सित वचनी । अशुभवचनी अनित्य वचनी । द्वेषवचनी अनृत्यवचनी । व्यर्थवचनी धिक्कारकर्ता ॥२२॥ कपटी कुटिल गांठी । कुर्टें कुचर नाटकी। कोपी कुधनिक अपवादी । अत्याधिक ॥२३॥ क्रोधी तामस अविचार । पापी अनर्थी अपस्मार । भूत संबंधी संचार । बसते अंग में ॥२४॥ आत्महत्यारा स्त्रीहत्यारा । गोहत्यारा ब्रह्महत्यारा । मातृहत्यारा पितृहत्यारा । महापापी पतित ॥२५॥ दरिद्र कुपात्र कुतर्की । मित्रद्रोही विश्वासघातकी । कृतघ्न तल्पकी नारकी । आतताई तल्पक ॥२६॥ किंतु लड़ाई झगडा कलह । अधर्म अनरीति शोकसंग्रही । चुगलखोर व्यसनी विग्रही । निग्रहकर्ता ॥२७॥ उत्पाती अपयशी मलीन । शरारती कंजूस वाचाल । स्वार्थी अभिलाषी स्वैराचारी । अदत्त जिद्दी अदेखी ॥२८॥ शठ शुंभ कातर । कायर ठग उत्पाती । विद्रोही पाखंडी तस्कर । अपहारकर्ता ॥२९॥ ढीठ सैराट स्वच्छंद । बातूनी बकवाद वाचाट । नीच उद्धट लंपट । कुमार्गी कुबुद्ध ॥३०॥ हत्यारा लुटेरा । डाकू घरखोदू । ठग मूर्ख परद्वाररत । धोखेबाज चेटकी ॥३१॥ निशंक निर्लज्ज झगडालू । उजड्ड मुस्टंड घष्टोद्वत । घमंडी निरक्षर नटखट । लडाकू और विकारी ॥३२॥ अधीर ईष्यालू अनाचारी । अंधा पंगु खांसी पीडित । लूला बहरा दमारोगी । तो भी अकड़ ना त्यागे ॥३३॥ विद्याहीन वैभवहीन । कुलहीन लक्ष्मीहीन । शक्तिहीन सामर्थ्यहीन । अदृष्टहीन भिखारी ॥३४॥ बलहीन कलाहीन । मुद्राहीन दीक्षाहीन । लक्षणहीन लावण्यहीन । अंगहीन कुरूप ॥३५॥ युक्तिहीन बुद्धिहीन । आचारहीन विचारहीन । क्रियाहीन सत्त्वहीन । विवेकहीन संशयी ॥३६॥ भक्तीहीन भावहीन । ज्ञानहीन वैराग्यहीन । शांतिहीन क्षमाहीन । सर्वहीन क्षुद्र ॥३७॥ समय न जाने प्रसंग न जाने । प्रयत्न न जाने अभ्यास न जाने । आर्जव न जाने मैत्री ना जाने । कुछ भी ना जाने अभागी ॥३८॥ अस्तु ऐसे नाना विकार । कुलक्षणों के भांडार । ऐसे कुविद्या का नर । श्रोता पहचानें ॥३९॥ ऐसे लक्षण कुविद्या के । सुनकर त्यजन ही करें । अभिमान कारण सनकी बने । यह विहित नहीं ॥४०॥ इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे कुविद्यालक्षणनाम समास तीसरा ॥३॥ N/A References : N/A Last Updated : February 13, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP