हिन्दी पद - पदे ७ से १०

संत नामदेवजीने हिन्दी में भी बहुत सुंदर और भक्तिपूर्ण रचनायें की है ।


७.
हम तो भुले ठाकुर जाने । उम क्यौं भाइ झूट दिवाने ॥१॥
नाला अपआप सागर हुवा । काहेके कारण रोता है कूवा ॥२॥
चंदनके साती निंब हुवा चंदन । क्यौ कर रोवे देखो ए हिंगन ॥३॥
गुरु के मेहेरसे नामा भये सांधु । देखत रोने लगे जन हे भोंदू ॥४॥
८.
सब चतुरता बरते अपना ऐसा न कोई । नीरपखव्है खेले ताथे मिठे अंतर पद्मी ॥१॥
अंतर कुटील रहत खचरमती । उपरी मज नकरी दिन खपती ॥२॥
ऐसा न कोई नीरपखव्हे खेले । प्रभुवैना ऐर रेनी दिन सुपनी ॥३॥
सोई साध सोई सुनी ग्यानी । ज्याकी मिलागी रहिल्यो रसनी ॥४॥
भणत नामदेवनी नीथीती पाई । जाकई रामनाम निज रजनी ॥५॥
९.
तूं आगाध वैकुंठनाथा । तेरे चरण मेरो माथा ॥१॥
जब भूतें नाना पेषु । जत्न जाऊ संत्र तूहीजु पेषु ॥२॥
ज थल महीथल काष्ठ पाषाण । आगम निगम बार बेद पुराण ॥२॥
मैमे निखा जन मानीर बधन ज्वाला । नामा काटा कुर दिन दयाला ॥३॥
१०.
राम आपणा पयाणा राम आपणा पयाणा । नामदेव मुरख लोग सयाना ॥१॥
जब हम हिरदे प्रिय बिचारी । रजबल छांडीके भये भीखारी ॥२॥
जब हरि कृपा करी हम जाणा । तब था चेरा अब भये राणा ॥३॥
नामदेव कहे मैं नरहरी गावो । पद खोबत परमारथ पावो ॥४॥

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Last Updated : November 11, 2016

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