हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|संत नामदेव रचित हिन्दी पदे| पदे १ से ५ संत नामदेव रचित हिन्दी पदे पदे १ से ५ पद ६ पदे ७ से १० पदे ११ से १५ पदे १६ से २० पदे २१ से २२ पदे २३ से २५ पदे २६ से ३० पदे ३१ से ३५ पदे ३६ से ४० पदे ४१ से ४५ पदे ४६ से ५० पदे ५१ से ५५ पदे ५६ से ६० पदे ६१ से ६५ पदे ६६ से ७० पदे ७१ से ७५ पदे ७६ से ८० पदे ८१ से ८५ पदे ८६ से ९० पदे ९१ से ९५ पदे ९६ से ९९ हिन्दी पद - पदे १ से ५ संत नामदेवजीने हिन्दी में भी बहुत सुंदर और भक्तिपूर्ण रचनायें की है । Tags : namdevpadनामदेवपदहिन्दी पदे १ से ५ Translation - भाषांतर १. उत्तम नरतनु पायरे भाई । गाफल क्यौं हुवा दिवाने जू ॥१॥सावध सावध भजले रे राजा । नही आवे ऐशी घडी जू ॥ध्रु०॥जिन्ने जन डारा है तुजकूं । बिसर गया उनका ध्यान जू ॥२॥फिर पस्तयेगा दगा पायेगा । निकल जायेगा अवसान जू ॥३॥क्य अकरना सो आइ करले । फिर नही ऐसी जोडी जू ॥४॥हंस जायेगा पिंजरा पडेगा । तुज कैसी भूल पडी जू ॥५॥सुन्नेका मंदिर मेहेल बनाया । धन संपत नहि तेरी जू ॥६॥मा भैन और जोरु लडके । सुखके खातर सारे जू ॥७॥अकेले आना अकेले जाना । सब झुटी माया पसरी जू ॥८॥लख चौर्यांसीका फेरा आवेगा । तब चुपी बैठे बदे जू ॥९॥फिरता फिरतां जीव दमता है बाबा । कोन रखे तेरे तनकू जू ॥१०॥जिस माय उदरीं जन्म लीयेगा । तेरे संगत दु:ख उनकू जू ॥११॥गरभीकी यातना सुनलेरे भाई । नवमास बंधन डारे जू ॥१२॥नहीं जगा हलने चलनेकु बाबा । छुडानेकु कोई नहीं आवे जू ॥१३॥आगलगी क्या देखत अंधे । कायके खातर सोया जू ॥१४॥ऐसी बात सुनके नामा सावध हुवा । गुरुके पाव मिठी डारी जू ॥१५॥मै अनाथ दुबले शरण भये तुजकू । आब जो मेरी लाज राखी जू ॥१६॥२. ज्यो कोई वसुधा दान दे आवे । पूर्ण जज्ञ करें करावे ॥ तीरथ बरथ करे स्नान । नही नही हरीनाम समान ॥१॥ज्यो कोई ज्यावे हीमालये गले । काशी करवत लेकर मरे ॥ द्सवे द्वारे काढे प्राण । नही नहीं हरिनाम समान ॥२॥काया कष्ठावे कलेवर जीवे । ना कुच खावे ना कुच पीवे । गगन मंडळमों जोग ध्यान । नही नही हरिमान समान ॥३॥आगली पिछली बात बनावें । नेम धरममें मन छुपावे ।च्यारो बेद पुढे पुरान । नही नही हरिनाम समान ॥४॥सद्ग्रुरूकी जद कृपा भई । प्रेम भगत हरदे धर लाई । कहे नामदेव भज भगवान । नही नही हरिनाम समान ॥५॥३. जहा तुम गीरीवर ताहां हम मोरा । जहं तुम चंदा तहां मै चकोरा ॥१॥जहां तुम तरुवर तहां मै पंछी । जहां तुम सरोवर तहांमै मच्छी ॥धृ०॥जहां तुम दीवा तहां मै बत्ती । जहां तुम पंथी तहां मै साती ॥२॥बेलके पाती शंकर पूजा । नामदेव कहे भाव नही दुजा ॥३॥४. हीन दिन जात मोरी पंढरीके राया । ऐसा तुमनें नामा दरजी कायकु बनाया ॥१॥टाळ बिना लेके नामा राऊलमे गया । पूजा करते बम्हन उन्नें बाहेर ढकाया ॥२॥देवलके पिछे नामा अल्लक पुकारे । जदिर जीदर नामा उदर देऊळ ही फिरे ॥३॥नाना बर्ण गवा उनका एक बर्ण दूध । तुम कहाके बम्हान हम कहाके सुद ॥४॥मन मेरी सुई तन मेरा धागा । खेचरजीके चरनपर नामा सिंपी लागा ॥५॥५. दूध पियो गोविंद लाला ॥धु०॥ काला बछरा कपिला गाईं दूध दुहावत नामा जाई ॥१॥सोनेका गडवा दूधने भरिया । पिवो नारायण आगे धरिया ॥२॥परभुवनकी मुरत दूध न पिवत । सीर पछार नामा रोवत ॥३॥ऐसा भगत मै कबु न पाया । नामदेवनें देव हसाया ॥४॥ N/A References : N/A Last Updated : November 11, 2016 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP