श्रीसूक्त लक्ष्मीपूजन - पंचम पूजा

दीपावली के पाँचो दिन की जानेवाली साधनाएँ तथा पूजाविधि कम प्रयास में अधिक फल देने वाली होती होती है और प्रयोगों मे अभूतपूर्व सफलता प्राप्त होती है ।


अष्टसिद्धि पूजन

अंगपूजन के पश्चात अष्टसिद्धियों का पूजन करें । पूजन में निम्नलिखित मन्त्रों का उच्चारण करते हुए गन्धाक्षत -पुष्प सामने मण्डल पर चढाए :

ॐ अणिम्ने नमः , ॐ महिम्ने नमः , ॐ गरिम्णे नमः , ॐ लघिम्ने नमः , ॐ प्राप्त्यै नमः , ॐ प्राकाम्यै नमः , ॐ ईशितायै नमः , ॐ वशितायै नमः ॥

अष्टलक्ष्मी पूजन

अष्टसिद्धियों के पूजन के पश्चात मॉं लक्ष्मी के अष्ट स्वरुपों का पूजन करना चाहिए । निम्नलिखित मन्त्रों का उच्चारण करते हुए अष्टलक्ष्मियों के पूजन के लिए गन्धाक्षत -पुष्प सामने मण्डल पर चढाए :

ॐ आद्यलक्ष्म्यै नमः

ॐ विद्यालक्ष्म्यै नमः

ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः

ॐ अमृतलक्ष्म्यै नमः

ॐ कामलक्ष्म्यै नमः

ॐ सत्यलक्ष्म्यै नमः

ॐ भोगलक्ष्म्यै नमः

ॐ योगलक्ष्म्यै नमः ।

आरती , पुष्पाज्जलि और प्रदक्षिणा

निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए जलपात्र लेकर आरती करें । आरती के पश्चात पुष्पांजलि एवं प्रदक्षिणा करें :

कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम ।

आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव ॥

नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोद्भवानि च ।

पुष्पाज्जलिर्मया दत्ता गृहाण परमेश्वरि ॥

यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च ।

तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे पदे ।

ॐ महालक्ष्म्यै नमः । प्रार्थनापूर्वकं नमस्कारान समर्पयामि ॥

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Last Updated : November 03, 2010

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