श्रीसूक्त लक्ष्मीपूजन - तृतीय पूजा

दीपावली के पाँचो दिन की जानेवाली साधनाएँ तथा पूजाविधि कम प्रयास में अधिक फल देने वाली होती होती है और प्रयोगों मे अभूतपूर्व सफलता प्राप्त होती है ।


कलश स्थापन एवं पूजन

चौकी के पास ईशानकोण ( उत्तर -पूर्व ) में धान्य ( जौ -गेहु ) के ऊपर कलश स्थापित करें । अब हाथ में अक्षत एवं पुष्प लेकर कलश के ऊपर चारों वेद एवं अन्य देवी -देवताओं का निम्नलिखित मन्त्रों के द्वारा आवाहन करें :

कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रुद्रः समाश्रितः ।

मूले त्वस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणाः स्मृताः ॥

कुक्षौ तु सागराः सर्वे सप्तद्वीपा वसुन्धरा ।

ऋग्वेदोऽथ यजुर्वेदः सामवेदो ह्यथर्वणः ॥

अडैश्च सहिताः सर्वे कलशं तु समाश्रिताः ।

अत्र गायत्री सावित्री शान्तिः पुष्टिकरी तथा ॥

सर्वे समुद्राः सरितस्तीर्थानि जलदा नदाः ।

आयान्तु देवपूजार्थं दुरितक्षयकारकाः ॥

गडे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।

नर्मदे सिन्धुकावेरि जलेऽस्मिन सन्निधिं कुरु ॥

उक्त आवाहन के पश्चात गन्ध , अक्षत , पुष्प आदि से कलश एवं उसमें स्थापित देवों का पूजन करें । तदुपरान्त सभी देवों को नमस्कार करें ।

कलश स्थापन एवं पूजन के उपरान्त नवग्रह एवं षोडशमातृका का पूजन यदि सम्भव हो सके , तो मण्डल बनाकर करें , अन्यथा नवग्रह एवं षोडशमातृका को चौकी पर स्थान देते हुए मानसिक पूजन कर लेना चाहिए ।

नवग्रह पूजन

दोनों हाथ जोडकर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें और सूर्यादि नवग्रह देवताओं का ध्यान करें :

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी

भूमिसुतो बुधश्च ।

गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः सर्वे ग्रहाः शान्तिकरा भवन्तु ॥

सूर्यः शौर्यमथेन्दुरुच्चपदवीं सन्मडलं मडलः

सदुद्धिं च बुधो गुरुश्च गुरुतां शुक्रः सुखं शं शनिः ।

राहुर्बाहुबलं करोतु सततं केतुः कुलस्योन्नतिं

नित्यं प्रीतिकरा भवन्तु मम ते सर्वेऽनुकूला ग्रहाः ॥

अपने हाथ में एक पुष्प लेकर उस पर कुंकुम लगाए और ‘ सूर्यादि नवग्रहदेवताभ्यो नमः ’ कहते हूए सूर्य -चन्द्रमा आदि नवग्रहों एक निमित्त सामने चौकी पर चढा दें ।

अब सूर्य आदि ग्रहों को ‘ दीपकं दर्शयामि ’ कहते हुए दीपक दिखाए और अपने हाथ धो लें । इसके पश्चात उन्हें नैवेद्य अर्पित करें । इसके पश्चात आचमन हेतु जल भी अर्पित करें ।

पंचलोकपाल पूजन

दोनों हाथ जोडकर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें और ब्रह्मादि पंचलोकपाल देवताओं का ध्यान करें :

ॐ ब्रह्म जज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्वि सीमतः सुरुचो वेन आवः ।

स बुध्न्या उपमा अस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसतश्च विवः ॥

अपने हाथ में एक पुष्प लेकर उस पर कुंकुम लगाए और ‘ ब्रह्मादि पंचलोकपाल देवताभ्यो नमः ’ कहते हुए ब्रह्मा आदि पंचलोकपालों के निमित्त सामने चौकी पर चढा दें ।

अब ब्रह्मा आदि पंचलोकपालों को ‘ दीपकं दर्शयामि ’ कहते हुए दीपक दिखाए और अपने हाथ धो लें । इसके पश्चात उन्हें नैवेद्य अर्पित करें । इसके पश्चात आचमन हेतु जल भी अर्पित करें ।

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Last Updated : November 03, 2010

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