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शिशुपाल n. चेदि देश का सुविख्यात राजा, जो चेदि राजा दमघोष एवं वसुदेवभगिनी श्रुतश्रवा का पुत्र था । इस प्रकार यह कृष्ण का फुफेरा भाई, एवं पांडवों का मौसेरा भाई था [म. स. ४०.२१] ;[भा. ७.१.१७, ९.२४.४०] । इसे ‘चैद्य’ एवं ‘सुनीथ’ नामांतर भी प्राप्त थे [म. स. ३३.३५२* पंक्ति. ४ परि. १.२१.२, ३६.१३] । यह शुरू से ही अत्यंत दुष्टप्रकृति, एवं कृष्ण का प्रखर विद्वेषक था, जिसका संकेत पुराणों में इसे हिरण्यकशिपु एवं रावण का अंशावतार मान कर किया गया है [मत्स्य. ४६.६] ;[विष्णु. ४.१४.११] ;[ब्रह्म. १४.२०] ;[वायु. ९६.१५८] ;[ब्रह्मांड. ३.३१.१५९] ।
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शिशुपाल n. इसके स्वरूप के संबंध में एक चमत्कृतिपूर्ण कथा महाभारत में प्राप्त है, जिसके द्वारा कृष्ण से इसका जन्मजात शत्रुत्व प्रस्थापित करने का प्रयत्न किया गया है । जन्म से यह अत्यंत विरूप था, एवं इसके तीन नेत्र, एवं चार भुजाएँ थी । इसकी आवाज भी गर्दभ के समान थी । इसके जन्म के समय आकाशवाणी हुई थी, ‘जिस पुरुष के गोद में यह बालक देते ही, इसकी दो भुजाएँ एवं एक नेत्र लुप्त हो कर इसका विरूपत्व नष्ट हो जायेगा, उसीके हाथों शस्त्र के द्वारा इसकी मृत्यु होगी।’ इस विचित्र बालक को देखने के लिए, अन्य राजाओं एवं रिश्तेदारों की भाँति कृष्ण एवं बलराम भी उपस्थित हुए थे । उस समय, कृष्ण के इस बालक को गोद में लेते ही, इसका विरूपत्त्व नष्ट हुआ, एवं आकाशवाणी के कथनानुसार कृष्ण इसका शत्रु साबित हुआ [म. स. ४०. १-१७] । कृष्ण की फूफी श्रुतश्रवा ने अपने बालक को बचाने के लिए उससे बार-बार प्रार्थना की। उस समय कृष्ण ने उसे अभिवचन दिया, ‘शिशुपाल के सौ अपराधों को मैं क्षमा करूंगा, एवं उसके सौ अपराध पूर्ण होने पर ही मैं उसका वध करूंगा’।
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शिशुपाल n. यह शुरू से ही मगधराज जरासंध का पक्षपाती था, एवं कृष्ण से द्वेष करता था [इ. वं. २३४.१३] । इसके कृष्ण की तुलना में अधिक सामर्थ्यशाली राजा होते हुए भी, सभी लोग कृष्ण को ही अधिक मान देते थे, यह इसे बिलकुल अच्छा नहीं लगता था ।
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शिशुपाल n. इसी विद्वेष के कारण यह अनेकानेक पापकर्म एवं अनाचार करता रहा। कृष्ण जब प्राग्ज्योतिष पुर गया था, उस समय उसकी अनुपस्थिति में इसने द्वारका नगरी जलायी थी । रैवतक पर्वत पर हुए यादवों के उत्सव के समय, इसने हमला कर अनेकानेक यादवों को मारपीट कर उन्हें कैद किया था । कृष्णपिता वसुदेव के अश्वमेध यज्ञ के समय, इसने उसका अश्वमेधीय अश्व चुरा कर, यज्ञ में विघ्न उपस्थित किया था । बभु्र राजा की पत्नी का इसने हरण किया था, एवं अपने मामा विशालक की कन्या भद्रा पर बलात्कार किया था । रुक्मिणीस्वयंवर के समय इसने कृष्ण पर आरोप लगाया था की, कृष्ण ने रुक्मिणी को बहका कर उससे जबर्दस्ती शादी की है ।
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