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R

Ramayana Part 3

Ramayana Part 1  
Variations : R.iii

अपिबद्ध   अभिनिर्मित   अभिरुचिर   अभ्यनुज्ञात   अभ्यलंकृत   अभ्यागम्   अभ्युपपद्   अभ्युषित   अभ्रावकाशिक   अभ्रावकाशिन्   अयुक्तचार   अयोमुख   अरण्यकाण्ड   अर्च्   अर्थज्ञ   अलय   अवच्छद   अवजित   अवपाशित   अवमर्दन   अवरज   अवरुध्   अवलीढ   अवष्टब्ध   अवष्टम्भ्   अवस्थित   अविचारणात्   अविश्वस्त   अशनी   अशरण्य   अशुभदर्शन   अश्मवृष्टि   असंबद्ध   असक्तम्   असङ्गवत्   असत्यसन्ध   असिद्धार्थ   असृज्   अस्तब्ध   अस्तमूर्धन्   अस्वाधीन   आकम्प   आकर्णमुक्त   आकाशशयन   आकुञ्चित   आकुल   आकुलित   आक्रम्   आग्रयणक   आचारभ्रष्ट   आज्यभुज्   आतिथ्यसत्कार   आत्मस्तव   एकरस   कण्टक   कथंवीर्य   कबन्ध   कर्णनासा   कल्   कल्पान्तवासिन्   काकतालीय   काकुत्स्थ   काञ्चनगर्भ   कामम्   कार्मुकिन्   काल   कालक   कालानल   कालाभ्यागमन   कालिकामुख   किंकर्मन्   कुमुदोत्पलिन्   कूजित   कृतनिश्चय   कृतातिथ्य   कृत्यवत्   कृष्   कृष्णाञ्जनगिरि   केशग्रहण   कैलास   कोक   कोपिन्   कोयष्टिक   कोलाहल   कोश   कौषेय   क्रूरस्वर   क्रोष्टुकी   क्व   क्षणदाचर   क्षमा   क्षाम   क्षुद्रशील   क्षुद्रात्मन्   क्षुर   क्षेत्रवसुधा   क्षोभण   क्ष्मा   खण्ड्   खरतर   खरदूषण   खरम्   खेचर   खेदितव्य   ख्याति   ख्यापित      गगनेचर   गजारोह   गत   गति   गन्तव्य   गन्धर्वी   गभीर   गम्   गर्हितव्य   गुण   गुणतस्   गुणदोष   गुणवत्तर   गृध्रपति   गृध्रराज   गोदावरी   गोपति   ग्राम्य   ग्राहिन्   ग्लान   घनीभूत   घर्मान्त   घर्षित   घातिन्   घ्न   चक्षुष्पथ   चन्दनवारि   चरणशुश्रूषा   चरणायुध   चर्   चलचित्त   चलितव्य   चल्   चापगुण   चापल्य   चामरव्यजन   चारक   चारचक्षुस्   चारित्र   चारुहासिन्   चित्र   चित्रकूट   चित्रशाला   चिर   चिरबिल्व   च्युत   छत्त्रधार   छद्   छन्दात्   छिन्न   जगतीधर   जगदीश्वर   जगद्गुरु   जनत्रय   जनपद   जनिष्य   जन्   जलचारिन्   जलद   जलभाजन   जातिसम्पन्न   जानकी   जाल   जालिका   जुष्ट   जृम्भ्   झर्झरित   टङ्कवत्   तक्कोल   तत्त्व   तथा   तदा   तद्   तपस्विनी   तप्त   तप्ताभरण   तर्क्   तर्जन   तर्ज्   तामरस   ताम्र   ताम्रधातु   ताम्रा   तारका   तारामृग   तार्य   तालमात्रम्   तावक   तिग्मग   तिज्   तिनिश   तिमीर   तिरीटक   तीक्ष्णता   तीक्ष्णाग्र   तूर्णतरम्   तृणप्राय   तोयमुच्   त्रयस्त्रिंशत्   त्रयोविंशतितम   त्रिकण्टक   त्रिजटा   त्रिदश   त्रिलोक   त्वच   दंशित   दक्ष   दनु   दर्शनीय   दर्शिन्   दशानन   दशास्य   दाक्षेयी   दात्यूहक   दिङ्मूढ   दीर्घायुस्   दुःखचारिन्   दुःखसंचार   दुःश्रुत   दुःसाक्षिन्   दुरत्यय   दुरासेव   दुर्बल   दुष्प्रतिवारण   द्युतिमति   द्विपायिन्   नियत   नील   महीमृग   विस्तार   व्याघ्र   हेममृग   
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