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सुखस्य दुःखस्य न कोपि दाता

   
Script: Devanagari

सुखस्य दुःखस्य न कोपि दाता

   सुख आणि दुःख हीं स्वतःच्या कर्मामुळेंच प्राप्त होत असतात, कोणी देऊन घेऊन मिळत नसतात. - शाब २.१९५. सबंध श्र्लोक- सुखस्य दुःखस्य न कोपि दाता परो ददातीति कुबुद्धिरेषा l अहं करोमीति वृथाभिमानः स्वकर्मसूत्रभ्रथितो हिं लोकः ll

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