शर्मिन् n. अगत्स्यकुलोत्पन्न एक ब्राह्मण, जो गंगायमुना नदियों के बीच यामुन पर्वत के तलहाटी में स्थित पर्णशाला नामक ग्राम में रहता था । ‘तिलांजलि दान’ का माहात्म्य बताने के लिए, इसकी कथा भीष्म ने युधिष्ठिर को कथन की थी
[म. अनु. ६८] । पर्णशाला ग्राम में शर्मिन् नाम के ही दो ब्राह्मण रहते थे । एक बार यम ने अपने एक दूत को इसे पकड़ कर लाने के लिए कहा, किंतु उसने गलती से इसीके नाम के अन्य ब्राह्मण को पकड़ कर यम के सम्मुख पेश किया । अपने दूत की भूल यम को ज्ञात होते ही, उसने उस ब्राह्मण को अन्न, जल, तिल के दान का महत्त्व कथन किया, एवं एसे सम्मानपूर्वक बिदा किया । पश्चात् यमदूत इसे पकड़ कर ले आये। किंतु इसके मृत्युयोग की घटिका बीत जाने के कारण, यम ने इसे भी पूर्वोक्त दान का महत्त्व कथन किया, एवं इसे बिदा कर दिया ।