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महाजनो येन गतःस पंथाः

   
Script: Devanagari

महाजनो येन गतःस पंथाः

   ( स.) थोर लोक ज्या मार्गानें जातात त्याच मार्गानें जाण्यांत लाभ असतो. थोरांचें अनुकरण करणें फायदेशीर असतें. मूळ श्लोक. श्रुतिर्विभिन्ना स्मृतयश्र्च भिन्ना नैको मुनिर्यस्य वचःप्रमाणम् । धर्मस्य तत्वं निहितं गुहायां महाजनो येन गतः स पंथाः॥ तु ० -ज्या वाटेनें गेले गुरु धरिति छात्र त्याचि वाटे ते। ’ -मोद्रोण ११.३४.

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महाजनो येन गतःस पंथाः   येन   येन केन प्रकारेण प्रसिद्धपुरुषो भवेत्   येन प्रकारेण   शनैः पंथाः शनैः कंथाः   யென்   য়েন   ইয়েন   ୟେନ   ਯੇਨ   യെന്   یَن   یین   યેન   येन केन प्रकारेण   yen   धा थंय देव   पंचभिः सह गंतव्यम्‌   मोठया मोठयाचा मार्ग बरा, तोच करावा साजरा   पांच करतील तें आपण करावें   नैको ऋषिर्यस्य वचः प्रमाणम्‌।   धर्मस्य तत्त्वं निहितं गुहायाम्‌   inasmuchas   in as much as   निबन्धिका   परिकलितिन्   परिगदितिन्   cheese-press   whereby   आयुधम्   आशीर्वादिन्   इन्द्रियनिग्रहिन्   अग्निशक्तिः   विघनः   शत्रुः   अपगति   battologist   छिद्रकः   मापकः   द्वारग्रन्थिः   पौरोधसम्   प्रविष्टः   birdlime   blacklead   monstrously   corner-stone   विशेषेन   मूलमन्त्रम्   whereas   आपीनम्   आभूषणम्   आम्लयित   आयतन मापन पात्रम्   आराग्रम्   आरोधः   आर्धरात्रिकः   आर्यजातिः   आविष्कर्तृ   गणकयन्त्रम्   कसें करून   कसेंहि करून   काचनम्   कासः   उत्प्रेरकम्   उन्नतिकारिन्   आश्वस्त   इच्छापत्ररहित   कफोणिः   करपत्रम्   कर्मेन्द्रियम्   ऋणमुक्त   ऋणीकः   ओष्ठरागः   खड्गबन्धः   केमनी डॉलर   केमॅनी डॉलर   अग्रयोधी   वातपूरः   वाल्मीकिः   विनिमय पत्रम्   शान्तिदायक   शिलाकुट्टकः   शिलाक्षारः   सङ्केतकः   श्रवणेन्द्रियम्   श्वसनतन्त्रम्   संसद्सदस्यः   संसूचकः   वर्तनीचालकः   वशीकरणविद्या   वस्त्रसञ्चकम्   वैमातृक   व्यङ्गचित्रम्   व्रश्चनः   शब्दाडम्बरः   अष्टमासक   अस्त्रधारी   आकार्षणी   आछद्   अन्तर्भावः   
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