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द्र्व्याचे लालची पेंढीचें ढोर

   
Script: Devanagari

द्र्व्याचे लालची पेंढीचें ढोर

   (शिवकालीन म्हण.) ज्याप्रमाणें गवताची पेढी पाहिली, कीं ढोर ते खाण्याच्या आशंने पाठीस लागतें, त्याप्रमाणें द्रव्याची हाव असणारे लोक मोठयांच्या पाठीसा लागतात
   श्रीशिवछत्रपतिचरित १२२.

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