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अग्नि न विझे कापसानें, क्रोध न शमे क्रूर भाषणें

   
Script: Devanagari

अग्नि न विझे कापसानें, क्रोध न शमे क्रूर भाषणें

   अग्नींत जर कापूस टाकला तर तो विझण्याऐवजीं अधिकच पेट घेईल
   त्याप्रमाणें आपण जर निष्ठुर भाषण करुं लागलों तर दुसर्‍याचा राग शांत होण्याऐवजीं अधिक वाढण्याचाच संभव असतो.

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