हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|आरती| आरती कामाक्षा देवी की । ... आरती सप्तवारोंकी आरती हरि श्री शाकुम्भरी अम्बा ... तेरा अद्भुत रूप निराला, आ... जय कालिंदी, हरिप्रिया जय।... आरती श्री जगन्नाथ मंगलकार... जय जय श्री बदरीनाथ, जयति ... हरिजू की आरती बनी। अति वि... श्री विष्णु भगवान जय वैष्णवी माता, मैया जय ... जय-जय तुलसी माता। सब जग क... जय कश्यप नन्दन, ऊँ जय अदि... आरती कीजै रामचन्द्र जी की... जय शिव ओंकारा, भज शिव ओंक... आरती कीजै सरस्वती की, जनन... आरती श्री वृषभानुसुता की।... जय लक्ष्मी रमणा, जय लक्ष्... जय सन्तोषी माता, जय सन्तो... जय लक्ष्मी माता, मैया जय ... आरती श्रीकृष्ण कन्हैयाकी।... भगवान नटवर जी की जय-जय गि... आरती कुंजविहारी की। श्रीग... जय केदार उदार शंकर, भव भय... आरती कीजै हनुमान लला की। ... जय हनुमत बीरा, बाबा जय हन... जयति जय गायत्री माता, जयत... जय गंगे माता श्री जय गंगे... सुर मुनि-पूजित गणनायक की॥... जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश... जगजननी जय! जय! माँ! जगजनन... जय बृहस्पति देवा, स्वामी ... जै जै भैरव बाबा, स्वामी ज... आरती अतिपावन पुरान की, धर... बारम्बार प्रणाम, मैया बार... आरती कीजै जनक लली की। राम... जय पार्वती माता, जय पार्व... आरती श्री जगन्नाथ मंगलकार... आरती कीजै सरस्वती की, जनन... आरती कामाक्षा देवी की । ... कामाक्षा माँ - आरती कामाक्षा देवी की । ... कामरूप कामाख्या में जो देवी का सिद्ध पीठ है वह इसी सृष्टीकर्ती त्रिपुरसुंदरी का है । Tags : kamakhyashastratantraकामाख्यातंत्रशास्त्र कामाक्षा माँ की आरती Translation - भाषांतर आरती कामाक्षा देवी की । जगत् उधारक सुर सेवी की ॥ आरती.......... गावत वेद पुरान कहानी । योनिरुप तुम हो महारानी ॥ सुर ब्रह्मादिक आदि बखानी । लहे दरस सब सुख लेवी की ॥ आरती......... दक्ष सुता जगदम्ब भवानी । सदा शंभु अर्धंग विराजिनी । सकल जगत् को तारन करनी । जै हो मातु सिद्धि देवी की ॥ आरती............. तीन नयन कर डमरु विराजे । टीको गोरोचन को साजे । तीनों लोक रुप से लाजे । जै हो मातु ! लोक सेवी की ॥ आरती.............. रक्त पुष्प कंठन वनमाला । केहरि वाहन खंग विशाला । मातु करे भक्तन प्रतिपाला । सकल असुर जीवन लेवी की ॥ आरती............ कहैं गोपाल मातु बलिहारी । जाने नहिं महिमा त्रिपुरारी । सब सत होय जो कह्यो विचारी । जै जै सबहिं करत देवी की ॥ आरती............ प्रदक्षिणा नमस्ते देवि देवेशि नमस्ते ईप्सितप्रदे । नमस्ते जगतां धात्रि नमस्ते भक्त वत्सले ॥ दण्डवत् प्रणाम् नमः सर्वाहितार्थायै जगदाधार हेतवे । साष्टांगोऽयं प्रणामस्तु प्रयत्नेन मया कृतः ॥ वर - याचना पुत्रान्देहि धनं देहि सौभाग्यं देहि मंगले । अन्यांश्च सर्व कामांश्च देहि देवि नमोऽस्तु ते॥ क्षमा प्रार्थना ॐ विधिहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं यदिच्छित् । पूर्ण भवतु तत्सर्व त्वत्प्रसादात् महेश्वरीम् ॥ N/A References : N/A Last Updated : July 14, 2016 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP