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अध्याय ५ - शनिपाचकदशाफल

मानसागरी - अध्याय ५ - शनिपाचकदशाफल

सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.

The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.


शनिसंध्यान्तर्गत शनिकी दशामें अभिमान, महान् सुख, लोहादिधातुसे लाभ, प्रताप, शरीरमें कष्ट यह फल होता है । शनिके अंतर्गत सूर्यकी दशामें धनकी हानि, शौक तथा भय और विदेशमें गमन होता है । शनिके अंतर्गत चन्द्रमाकी दशामें सुख, शरीर रोगरहित, लाभ हानि समानही होता है । शनिके अंतर्गत मंगलकी दशामें कलह और उपद्रव, अग्निदाह, विषमज्वर और कार्य विफल होता है । शनिके अंतर्गत बुधकी दशामें राजमान, घरमें मध्यसंमपदा, कार्यका लाभ और वस्त्र प्राप्त होता है । शनिके अंतर्गत बृहस्पतिकी दशामें बहुत बुद्धि, सौख्य, राज्य, देश पुरादिका मालिक, परोपकारी और सुखसंपदाकरके युक्त होता है । शनिके अंतर्गत शुक्रकी दशामें वित्तलाभ, सुख, सुखार्थ विद्याका आगम, निर्मल बाहु प्रतापकरके युक्त और विदेशगमनसे लाभवाला होता है ॥१-७॥

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Last Updated : January 22, 2014

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