भजन - मो बिरहिनकी बात हेली , बि...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


मो बिरहिनकी बात हेली, बिरहिन होइ जानिहै ।

नैन बिछोहा जानती री हेली, बिरहै कीन्हों घात ॥टेक॥

या तनकूँ बिरहा लगो रीहेली, ज्यों घुन लागो काठ ।

निसदिन खाये जातु है, देखूँ हरिकी बाट ॥

हिरदेमें पावक जरै री हेली, तपि नैना भय लाल ।

आसूँपर आसूँ गिरै, यही हमारो हाल ॥

प्रीतम बिन कल ना परै री हेली, कलकल सब अकुलाहिं ।

डिगी परूँ, सत ना रहौ कब पिय पकरैं बाँहिं ॥

गुरु सुकदेव दया करैं री हेली, मोहि मिलावै लाल ।

चरनदास दुख सब भजैं, सदा रहुँ पति नाल ॥

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Last Updated : December 20, 2007

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