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सोई साध -सिरोमनि , गोबिंद...

भजन - सोई साध -सिरोमनि , गोबिंद...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


सोई साध-सिरोमनि, गोबिंद गुण गावै ।

राम भजै बिषिया तजै, आपा न जनावै ॥टेक॥

मिथ्या मुख बोलै नहीं पर-निंद्या नाहीं ।

औगुण छोड़ै गुण गहै, मन हरिपद-माहीं ॥१॥

नरबैरी सब आतमा, पर आतम जानै ।

सुखदाई समता गहै, आपा नहिं आनै ॥२॥

आपा पर अंतर नहीं, निरमल निज सारा ।

सतबादी साचा कहै, लै लीन बिचारा ॥३॥

निरभै भज न्यारा रहै, काहू लिपत न होई ।

दादू सब संसारमें, ऐसा जन कोई ॥४॥

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Last Updated : September 28, 2008

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