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नूर रह्या भरपूर , अमीरस प...

भजन - नूर रह्या भरपूर , अमीरस प...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


नूर रह्या भरपूर, अमीरस पीजिये ।

रस मोहैं रस होइ, लाहा लीजिये ॥टेक॥

परगट तेज अनंत पार नहिं पाइये ।

झिलिमिल-झिलिमिल होइ, तहाँ मन लाइये ॥१॥

सहजैं सदा प्रकास, ज्योति जल पूरिया ।

तहाँ रहै निज दास, सेवग सूरिया ॥२॥

सुख-सागर वार न पार, हमारा बास है ।

हंस रहैं ता माहिं, दादू दास है ॥३॥

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Last Updated : September 28, 2008

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