हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|दासबोध हिन्दी अनुवाद|शिकवणनाम| विवरणनिरूपणनाम शिकवणनाम लेखनक्रियानिरूपणनाम विवरणनिरूपणनाम करंटलक्षणनिरूपणनाम सदेवलक्षणनिरूपणनाम देहमान्यनिरूपणनाम बुद्धिवादनिरूपणनाम यत्ननिरूपणनाम उपाधिलक्षणनिरूपणनाम राजकारणनिरूपणनाम विवेकलक्षणनिरूपणनाम समास दूसरा - विवरणनिरूपणनाम ‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है । Tags : dasbodhramdasदासबोधरामदास समास दूसरा - विवरणनिरूपणनाम Translation - भाषांतर ॥ श्रीरामसमर्थ ॥ पीछे कहे लेखनभेद । अब सुनिये अर्थभेद । नाना प्रकार के संवाद । समझ लीजिये ॥१॥ शब्दभेद अर्थभेद । मुद्राभेद प्रबंधभेद । नाना शब्दों के शब्दभेद । जानकर समझें ॥२॥ नाना आशंका प्रत्युत्तर । नाना प्रचित साक्षात्कार। जिसके कारण चमत्कार । होते जगदंतर में ॥३॥ नाना पूर्वपक्ष सिद्धांत । प्रत्यय से देखें नेमस्त । अनुमान से अस्ताव्यस्त । बोलें ही नहीं ॥४॥ प्रवृत्ति अथवा निवृत्ति । प्रचीति बिना सारी भ्रांति । कूडे के भीतर जगज्जोति । चेतेगी कहां ॥५॥ हेतु समझकर उत्तर देना । दूसरे का हृदगत समझना । मुख्य चातुर्य लक्षण । वे हैं ऐसे ॥६॥ चातुर्य बिना खटपट । वह विद्या ही निरर्थक । सभा में व्यर्थ श्रम । समाधान कैसा ॥७॥ बहुत बोलना सुनें । वहां मौन्य ही धरें । अल्पचिन्ह से समझें । जगदंतर ॥८॥ अशिष्टों में न बैठें । उद्दंडों से न झगड़ें । अपने लिये खंडित न करें । समाधान जनों का ॥९॥ अज्ञातापन न छोडें । ज्ञातापन से न फूलें । हृदय नाना जनों के । छूयें मृदु शब्दों से ॥१०॥ प्रसंग को जानें अच्छे से । बाजु बहुतों की न लें । सत्य होने पर भी फूट गिरे । समूह में ॥११॥ शोध लेने में अलसायें नहीं । भ्रष्ट लोगों में बैठें नहीं । बैठें तो भी करें नहीं । मिथ्या दोष ॥१२॥ अंतरंग आर्त का खोजें । प्रसंग में थोडा ही पढें । प्रभावित करके छोडें । भले मनुष्यों कों ॥१३॥ मजलिसों में न बैठें । समाराधना में न जायें । जाने पर ऊब जाये । जीना अपना ॥१४॥ उत्तम गुणों को प्रकट करायें । फिर किसी से भी बोल सके । देख खोजकर करें । भले मित्र ॥१५॥उपासना अनुसार बोलें । सर्व जनों को संतुष्ट करें । सारा भलापन रखें । किसी एक से ॥१६॥ ठाई ठाई खोज करें । फिर ग्राम में प्रवेश करें । प्राणिमात्र से बात करें । आत्मियता से ॥१७॥ ऊंच नीच नहीं कहें । सबके हृदय शांत करें । अस्तमान न जायें । कहीं भी ॥१८॥ जग में जगन्मित्र । जिव्हा के पास है सूत्र । कहीं तो भी सत्पात्र । खोजकर निकालें ॥१९॥ होती कथा वहां जायें । दीन समान दूर बैठें । वहां सारा ग्रहण करें । अंतर्याम में ॥२०॥ वहां भले मिलेंगे । व्यापक वे भी समझ में आयेंगे । धीमें धीमें ढेर लगायें । मंदगती से ॥२१॥ सकलों में विशेष श्रवण । श्रवण से श्रेष्ठ मनन । मनन से होता समाधान । बहुत जनों का ॥२२॥ धूर्तता से सकल जानें । अंतरंग में अंतर जानें । समझे बिना थकें । किस कारण ॥२३॥ इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे विवरणनिरूपणनाम समास दूसरा ॥२॥ N/A References : N/A Last Updated : February 16, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP