हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|दासबोध हिन्दी अनुवाद|नवविधाभक्तिनाम| समास तीसरा नामस्मरणभक्तिनाम नवविधाभक्तिनाम समास पहला श्रवणभक्तिनिरूपणनाम समास दूसरा कीर्तनभजननिरूपणनाम समास तीसरा नामस्मरणभक्तिनाम समास चौथा पादसेवनभक्तिनिरुपणनाम समास पांचवां अर्चनभक्तिनाम समास छठवां वंदनभक्तिनाम समास सातवां दास्यभक्तिनिरुपणनाम समास आठवां सख्यभक्तिनिरुपणनाम समास नववां आत्मनिवेदनभक्तिनाम समास दसवां मुक्तिचतुष्टये नाम समास तीसरा नामस्मरणभक्तिनाम ‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है । Tags : dasbodhramdasदासबोधरामदास समास तीसरा नामस्मरणभक्तिनाम Translation - भाषांतर ॥ श्रीरामसमर्थ ॥ पीछे निरुपित किया कीर्तन । जो सकलों को करे पावन । अब सुनो विष्णोः स्मरण । तीसरी भक्ति ॥१॥ स्मरण देव का करे । अखंड नाम जपते जायें । नामस्मरण से पायें । समाधान ॥२॥ नित्यनियम से प्रातःकाल । माध्यान्हकाल सायंकाल । नामस्मरण सर्वकाल । करते जायें ॥३॥ सुख दुःख उद्वेग चिंता । अथवा आनंदरूप जब रहता । नामस्मरण बिन सर्वथा । रहें ही नहीं ॥४॥ हर्षकाल में विषमकाल में । पर्वकाल में प्रस्तावकाल में । विश्रांतिकाल में निद्राकाल में । नामस्मरण करें ॥५॥ उलझन झंझट संकट । नाना सांसारिक खटपट । अवस्था आते ही झटपट । नामस्मरण करें ॥६॥ चलते बोलते धंधा करते । खाते पीते सुखी होते । नाना उपभोग जब भोगते । नाम बिसरें नहीं ॥७॥ संपत्ति अथवा विपत्ति । जैसे होगी कालगति । नामस्मरण की स्थिति । त्यागें ही नहीं ॥८॥ सत्ता वैभव और सामर्थ्य । मिलते ही नाना पदार्थ । भोगते भाग्यश्री उत्कृष्ट । नामस्मरण त्यागें नहीं ॥९॥ पहले दुर्दशा फिर सुदशा । अथवा सुदशा के बाद दुर्दशा । प्रसंग हो चाहे जैसा । परंतु नाम त्यागें नहीं ॥१०॥ नाम से संकट नाश होते । नाम से विघ्ननिवारण होते । नामस्मरण से पाते । उत्तम पद ॥११॥ भूतपिशाच नाना छंद । ब्रह्मग्रह ब्राह्मण समंध । मंत्र विस्मृति नाना खेद । नामनिष्ठा से नाश होते ॥१२॥ नाम विषबाधा को हरती । नाम जादू टोटका मिटाती । नाम से होती उत्तम गति । अंतकाल में ॥ १३॥ बालपन तारुण्यकाल में । कठिनकाल वृद्धापकाल में । सर्वकाल अंतकाल में । नामस्मरण रहें ॥१४॥ नाम की महिमा जाने शंकर । जनों को उपदेश दे विश्वेश्वर । वाराणसी मुक्तिक्षेत्र । रामनाम के कारण ॥१५॥नामजप कर उलट । वाल्मीक तर गया झटपट । भविष्य कहा शतकोट । चरित्र रघुनाथ का ॥१६॥ हरिनाम से प्रल्हाद तर गया । नाना आघातों से छूट गया । नारायणनाम से पावन हुआ । अजामेल ॥१७॥ नाम से पाषाण तरे । असंख्य भक्त उद्धार पाये । महापापी भी हुये । परम पवित्र ॥१८॥ अनंत नाम परमेश्वर के । नित्य स्मरण से तरते । नामस्मरण करने से । यम भी बाधे न ॥१९॥ सहस्त्रनामों में से कोई एक । कहने पर होता सार्थक । नामस्मरण से पुण्यश्लोक । होते हैं स्वयं ॥२०॥ कुछ भी न करे प्राणी । रामनाम जप करे वाणी । उससे संतुष्ट चक्रपाणी । भक्तों को संभालते ॥२१॥ नाम स्मरे निरंतर । वह जानें पुण्य शरीर । महादोषों के गिरिवर । रामनाम से होते नष्ट ॥२२॥ अगाध महिमा न कर सके कथित । नाम ने जन उद्धारे बहुत । हलाहल से हुये मुक्त । प्रत्यक्ष चंद्रमौली ॥२३॥ चारो वर्णों को नामाधिकार । नाम में नहीं छोटे बडे का विचार । जड़ मूढ भवपार । पाते नाम से ॥२४॥ इस कारण नाम अखंड स्मरें । रूप का मन में ध्यान करें । तीसरी भक्ति का सहजता से । किया निरुपण ॥२५॥ इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे नामस्मरणभक्तिनाम समास तीसरा ॥३॥ N/A References : N/A Last Updated : February 13, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP