हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|अतिथि (मनुष्य)-यज्ञ| अतिथि (मनुष्य)-यज्ञ अतिथि (मनुष्य)-यज्ञ अतिथि (मनुष्य)-यज्ञ विशेष बातें नित्य-श्राद्ध वार्षिक तिथिपर श्राद्धके निमित्त ब्राह्मण-भोजनका संकल्प भोजनादि शयनान्तविधि भोजनके बादके कृत्य अतिथि (मनुष्य)-यज्ञ प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा अतिथि (मनुष्य)-यज्ञ Translation - भाषांतर अतिथि (मनुष्य)-यज्ञबलिवैश्वदेवके बाद सबसे पहले अतिथियोंको ससम्मान भोजन कराये । इसके पहले मनुष्य-यज्ञमें जो हन्तकार अन्न दिया गया है, उससे भिन्न अन्न श्रेष्ठ ब्राह्मणोंको जो दिया जाता है, वह मनुष्य-यज्ञ कहलाता है । यह भी देखना होता है कि नियमित भोजन करनेवाले जो भृत्य हैं, उनका उपरोध किसी तरह न हो । अभावकी स्थितिमें मीठी बातोंसे अतिथियोंको संतुष्ट करे । चटाई बिछाकर ससम्मान बिठाये, जल ही दे दे । इन तीनोंसे भी अतिथियोंका जो सत्कार होता है, वह ज्योतिष्टोमसे भी अधिक फलप्रद होता है । अतिथियोंको लौटाना नहीं चाहिये, ऐसा करनेसे पाप लगता है । मध्याह्नमें आये अतिथिकी अपेक्षा सूर्यास्तके समय आये अतिथिका आठ गुना अधिक महत्त्व है । सूर्यास्तके समय आये अतिथिको ‘सूर्योढ’ कहा जाता है । ‘सूर्योढ’ अतिथि यदि असमयमें भी आ जाय तो उसे बिना भोजन कराये न रहे । वैश्वदेवके समय प्राप्त अतिथिको नारयणका स्वरुप मानते हुए उसके कुल, शील, आचार, गुण-दोष, विद्या आदिपर विचार नहीं करना चाहिये । N/A References : N/A Last Updated : December 02, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP