सर्वसामान्य देवी-देव-पूजाका विधान

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


सर्वसामान्य देवी-देव-पूजाका विधान
किसी भी देवताकी पृथक् पूजा करनी हो तो पिछली विधि और पिछले मन्त्रोंसे ही की जा सकती है । केवल उन मन्त्रोंमें विभक्ति और नाममन्त्रका ही परिवर्तन करना पडता है । इन्ही मन्त्रोंसे देवीकी पूजा भी की जा सकती है । देवीकी पूजामें केवल पुंलिड्गकी जगह स्त्रीलिड्गका प्रयोग करना होगा । इसी प्रकार पञ्चदेव-पूजामें पाँच देवोंके लिये बहुवचनका प्रयोग हुआ है । किसी एक देव या देवीकी पूजामें उनका एकवचनमें प्रयोग कर लेना चाहिये । यहाँ उदाहरणस्वरुप प्राय: इन्हीं मन्त्रोंसे ’शिवपूजा’ का विधान दिया जा रहा है । इसीके आधारपर अन्य देवोंकी पूजा करनी चाहिये । उसके बाद लिंड्ग बदलकर उदाहरणस्वरुप में दुर्गापूजाका  विधान बतलाया गया है । इसी आधारपर अन्य देवियोंकी पूजा करनी चाहिये ।
यदि ये आगमोक्त मन्त्र भी पढना कठिण पडे तो केवल नाममन्त्रसे ( ’अमुक देवाय या अमुक देव्यै’ इस प्रकार कहकर ) ’आवाहन’ करके ’नैवेद्य’ आदि चढाना चाहिये ।
यदि कोई भी पूजाका उपचार न जुट पाये या जुटाना अशक्य हो तो उसे मनसे तैयार कर चढा देना चाहिये । जैसे
’दिव्यमासनं मनसा परिकल्प्य समर्पयामि, पुष्पातां पुष्पमालां मनसा परिकल्प्य समर्पयामि’ आदि ।

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Last Updated : December 02, 2018

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