हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|स्नान|जप-विधि| जप-विधिका स्थान जप-विधि जप-विधि प्रकार जप-विधिका स्थान माला-वन्दना जप-विधिका स्थान प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा जप-विधिका स्थान Translation - भाषांतर स्थान-भेदसे जपकी श्रेष्ठताका तारतम्य -- घरमें जप करनेसे एक गुना, गोशालामें सौ गुना, पुण्यमय वन या वाटिका तथा तीर्थमें हजार गुना, पर्वतपर दस हजार गुना, नदी-तटपर लाख गुना, देवालयमें करोड़ गुना तथा शिवलिन्गके निकट अनन्त गुना पुण्य प्राप्त होता है --गृहे चैकगुण: प्रोक्त: गोष्ठे शतगुण: स्मृत: ।पुण्यारण्ये तथा तीर्थे सहस्त्रगुणमुच्यते ॥अयुत: पर्वते पुण्यं नद्यां लक्षगुणो जप: ।कोटिर्देवालये प्राप्ते अनन्तं शिवसंनिधौ ॥ N/A References : N/A Last Updated : November 26, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP