हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|स्नान|स्नानकी आवश्यकता| जलकी सापेक्ष श्रेष्ठता स्नानकी आवश्यकता स्नानकी आवश्यकता स्नानके भेद अशक्तोंके लिये स्नान स्नानकी विधि जलकी सापेक्ष श्रेष्ठता जलकी सापेक्ष श्रेष्ठता प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा जलकी सापेक्ष श्रेष्ठता Translation - भाषांतर जलकी सापेक्ष श्रेष्ठता -- कुएँसे निकाले हुए जलसे झरनेका जल, झरनेके जलसे सरोवरका जल, सरोवरके जलसे नदीका जल, नदीके जलसे तीर्थका जल और तीर्थके जलसे गंगाजीका जल अधिक श्रेष्ठ माना गया है --निपानादुद्भृतं पुण्यं तत: प्रस्त्रवणोदकाम् ।ततोऽपि सारसं पुण्यं ततो नादेयमुच्यते ॥तीर्थतोयं तत: पुण्यं गन्गातोयं ततोऽधिकम् ॥'जहाँ धोबीका शिलापट रखा हो और कपड़ा धोते समय जहाँतक छीटे पड़ते हों, वहाँतकका जलस्थान अपवित्र माना जाता है' --वासांसि धावतो यत्र पतन्ति जलबिन्दव: ।तदपुण्यं जलस्थानं रजकस्य शिलांकितम् ॥इसके पश्चात् नाभिपर्यन्त जलमें जाकर, जलकी ऊपरी सतह हटाकर कान और नाक बंदकर प्रवाहकी ओर या सूर्यकी ओर मुख करके स्नान करे । तीन, पाँच, सात या बारह डुबकियाँ लगाये । डुबकी लगानेके पहले शिखा खोल ले । गंगाके जलमें वस्त्र नहीं निचोड़ना चाहिये । जलमें मल-मूत्र त्यागना और थूकना अनुचित है । शौच-कालका वस्त्र पहनकर तीर्थोमें स्नान करना निषिध्द है । N/A References : N/A Last Updated : November 25, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP