हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|पुस्तक|गीतावली| किष्किन्धाकाण्ड गीतावली बालकाण्ड अयोध्याकाण्ड अरण्यकाण्ड किष्किन्धाकाण्ड सुन्दरकाण्ड लङ्काकाण्ड उत्तरकाण्ड किष्किन्धाकाण्ड `गीतावली` गोस्वामी तुलसीदास की एक प्रमुख रचना है जिसके गीतों में राम-कथा कही गयी है । सम्पूर्ण पदावली राम-कथा तथा रामचरित से सम्बन्धित है । Tags : geetavalitulsidasगीतावलीतुलसीदासहिन्दी किष्किन्धाकाण्ड Translation - भाषांतर २१४--०१--- किष्किन्धाकाण्ड२१४--०१--- ऋष्यमूकपर राम२१४--राग---केदारा२१४--०१--- भूषन-बसन बिलोकत सियके ।२१४--०१--- प्रेम-बिबस मन, कम्प पुलक तनु, नीरजनयन नीर भरे पियके ॥२१४--०२--- सकुचत कहत, सुमिरि उर उमगत, सील-सनेह-सुगुनगन तियके ।२१४--०२--- स्वामि-दसा-लखि लषन सखा कपि, पिघले हैं आँच माठ मानो घियके ॥२१४--०३--- सोचत हानि मानि मन, गुनि-गुनि गये निघटि फल सकल सुकियके ।२१४--०३--- बरने जामवन्त तेहि अवसर, बचन बिबेक बीररस बियके ॥२१४--०४--- धीर बीर सुनि समुझि परसपर, बल-उपाय उघटत निज हियके ।२१४--०४--- तुलसिदास यह समौ कहेतें कबि लागत निपट निठुर जड़ जियके ॥२१५--०१--- सीताजीकी खोजका आदेश२१५--०१--- प्रभु कपि-नायक बोलि कह्यो है ।२१५--०१--- बरषा गई, सरद आई, अब लगि नहि सिय-सोधु लह्यो है ॥२१५--०२--- जा कारन तजि लोकलाज, तनु राखि बियोग सह्यो है ।२१५--०२--- ताको तौ कपिराज आज लगि, कछु न काज निबह्यो है ॥२१५--०३--- सुनि सुग्रीव सभीत नमित-मुख, उतरु न देन चह्यो है ।२१५--०३--- आइ गए हरि जूथ, देखि उर पूरि प्रमोद रह्यो है ॥२१५--०४--- पठये बदि-बदि अवधि दसहु दिसि, चले बलु सबनि गह्यो है ।२१५--०४--- तुलसी सिय लगि भव-दधिनिधि मनु फिर हरि चहत मह्यो है ॥ N/A References : N/A Last Updated : January 22, 2014 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP