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मानवेतर वंश

   
Script: Devanagari

मानवेतर वंश

मानवेतर वंश n.  जिसमें वानर, रक्षस आदि मानवेतर वंश समाविष्ट किये जाते हैं । पौराणिक साहित्य में देव, गंधर्व, दानव, अप्सरा, राक्षस, यक्ष, नाग, गरुड आदि अनेकानेक मानवेतर वंशों का निर्देश प्राप्त है । इनमें से बहुत सारे मानवेतर वंशों को पौराणिक साहित्य में कश्यप ऋषि की संतान मानी गयी है, जिसकी तेरह पत्नियों के द्वारा पृथ्वी के सारे मानवेतर वंशों का निर्माण होने का निर्देश वहाँ प्राप्त है : -
मानवेतर वंश n.  पौराणिक साहित्य एवं महाभारत में अन्यत्र राक्षस, यक्ष, एवं गंधर्व आदि को पुलह, पुलस्त्य, अगस्त्य जैसे सप्तर्षियों की संतान कहा गया है । [म. आ. ६०.५४१] । जिस प्रकार समस्त मानवजाति का पिता मनु वैवस्वत माना जाता है, उसी प्रकार समस्त मानवेतर सृष्टि के प्रणयन का श्रेय सप्तर्षियों को दिया गया प्रतीत होता है । पुलस्य एवं पुलह ऋषियों का सविस्तृत वंशवर्णन वायु में प्राप्त है [वायु. ७०.३१ - ६३, ६४ - ६५]
मानवेतर वंश n.  ब्रह्मांड पुराण में वानरों को पुलह एवं हरिभद्रा की संतान कहा गया है, एवं उनके ग्यारह प्रमुख कुल दिये गये है : - १. द्वीपिन्; २. शरभ; ३. सिंह; ४. व्याघ्र; ५. नील; ६. शल्यक; ७. ऋक्ष; ८. मार्जार; ९. लोभास; १० लोहास; ११. वानर; १२. मायाव [ब्रह्मांड. ३.७.१७६, ३२०]
मानवेतर वंश n.  वायु में राक्षसों को पुलह, पुलस्त्य एवं अगस्त्य ऋषियों की संतान कहा गया है [वायु. ७०.५१ - ६५] । दैत्यों में से हिरण्यकशिषु एवं हिरण्याक्ष का स्वतंत्र वंशवर्णन भी प्राप्त है [वायु. ६७] ;[ब्रह्मांड ३.५] । पौराणिक साहित्य में असुर, दानव, दैत्य एवं राक्षसजातियों का स्वतंत्र निर्देश प्राप्त है [मत्स्य. २५.८,१७, ३०, ३७, २६.१७] । किन्तु आगे चल कर इन जातियों का स्वतंत्र अस्तित्व नष्ट हो कर, अनार्य एवं दुष्ट जाति के लोगों के लिए ये नाम प्रयुक्त किये जाने लगे ।
मानवेतर वंश n.  
वंशविशेष - देवगंधर्व
कश्यपपत्नी - (१) अरिष्टा
संतान - तुंबरु, हंस, वरेण्य आदि देवगंधर्व ।
वंशविशेष - देवगंधर्व
कश्यपपत्नी - (२) मुनि
संतान - अर्कपर्ण, उग्रसेन आदि सोलह देवगंधर्व ।
वंशविशेष - अप्सरा
कश्यपपत्नी - (१) अरिष्टा
संतान - अनवद्या, अरुणा आदि अप्सरा ।
वंशविशेष - अप्सरा
कश्यपपत्नी - (२) खशा
संतान - आलंबा, उत्कचोत्कृष्टा आदि अप्सरा ।
वंशविशेष - अप्सरा
कश्यपपत्नी - (३) मुनि
संतान - अजगंधा, अनपाया आदि अप्सरा ।
वंशविशेष - नाग
कश्यपपत्नी - (१) कद्रू
संतान - अक्रूर, धृतराष्ट्रादि नागकुल ।
वंशविशेष - नाग
कश्यपपत्नी - (२) सुरभि
संतान - अंगारक, अहिर्ध्बुन्य आदि सर्प ।
वंशविशेष - राक्षस, दैत्य एवं दानव
कश्यपपत्नी - (१) खशा
संतान - अकंपन, अश्व आदि राक्षस ।
वंशविशेष - राक्षस, दैत्य एवं दानव
कश्यपपत्नी - (२) दनु
संतान - पुलोमत्, विप्रचित्ति, हिरण्यकशिपु आदि दानव ।
वंशविशेष - राक्षस, दैत्य एवं दानव
कश्यपपत्नी - (३) दनायु
संतान - वृत्र आदि दानव ।
वंशविशेष - राक्षस, दैत्य एवं दानव
कश्यपपत्नी - (४) दिति
संतान - हिरण्याक्ष, वज्रांग आदि दैत्य ।
वंशविशेष - राक्षस, दैत्य एवं दानव
कश्यपपत्नी - (५) पुलोमा
संतान - पौलोम एवं कालकेय राक्षससमूह ।
वंशविशेष - राक्षस, दैत्य एवं दानव
कश्यपपत्नी - (६) सिंहिका
संतान - सैंहिकेय असुर ।
वंशविशेष - राक्षस, दैत्य एवं दानव
कश्यपपत्नी - (७) सुरसा
संतान - यातुधानादि राक्षससमूह ।
वंशविशेष - राक्षस, दैत्य एवं दानव
कश्यपपत्नी - (८) कालका
संतान - कालकंज राक्षससमूह ।
वंशविशेष - पक्षी
कश्यपपत्नी - (१) विनता
संतान - गरुड, आरुणि आदि पक्षिराज ।
वंशविशेष - पक्षी
कश्यपपत्नी - (२) ताम्रा
संतान - क्रौंची, गृध्रिका आदि पक्षी ।
वंशविशेष - आदित्य
कश्यपपत्नी - अदिति
संतान - बारह आदित्य ।

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