-
अविक्षित् n. (सू. दिष्ट.) करंधमपुत्र (आविक्षित) इसने सौ अश्वमेध किये तथा स्वयं बृहस्पती ने इसका याजन किया । इसको स्वयंवर से प्राप्त हेमधर्मकन्या वरा, सुदेवकन्या गौरी, बलिकन्या सुभद्रा, वीरकन्या लीलावती, वीरभद्रकन्या विभा, भीमकन्या मान्यवती तथा दंभकन्या कुमुद्वती नामक पत्नियॉं थी [मार्क. ११९.१६-१७] । विशाल की कन्या वैशालिनी भी इसकी पत्नी थी । इसने वैशालिनी के स्वयंवर में अन्य राजाओं का पराभव किया, तथा वैशालिनी को ले कर यह चला गया । पश्चात् अन्य राजाओं ने मिल कर इसका पराजय कर के, इसको बंदीवान कर दिया । अन्त में इसका पिता करंधम ने सबका पराजय कर के, इसको मुक्त किया, तथा इसका वैशालिनी के साथ विवाह हुआ । इसका पुत्र मरुत्त [म. आश्व.४] । सर्पो ने कई ऋषिपुत्रों को मार डाला तब मरुत्त सर्प-संहार के लिये उद्युक्त हुआ । इस समय इसने अपने पत्नी के साथ वहॉं जा कर, पुत्र को इस कार्य से निवृत्त किया । सर्पो को बचा कर अभय दिया सर्पो ने भी उन मृत ऋषिपुत्रों को पुनः जीवित किया [मार्क. ११९.१६-१७,१२८] ।
-
अ-विक्षित् m. m.
N. of a, king, [MBh. i, 231]
-
अविक्षित् [avikṣit] m. m. N. of a king, son of Kuru; [Mb.1.238.]
-
(son of कुरु), 3740 seqq.; xiv, 82.
Site Search
Input language: