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सुग्रीव n. किष्किंधा नगरी का एक सुविख्यात वानर राजा, जो महेंद्र एवं ऋक्षकन्या विरजा का पुत्र था [ब्रह्मांड. ३.७.२१४-२४८] ;[भा. ९.१०.१२] । यह वालिन् का छोटा भाई था । वाल्मीकिरामायण के प्रक्षिप्त काण्ड में इसे ऋक्षरजस् नामक वानर का पुत्र कहा गया है, जिसकी ग्रीवा (गर्दन) से उत्पन्न होने के कारण इसे ‘सुग्रीव’ नाम प्राप्त हुआ था [वा. रा. उ. प्रक्षिप्त. ६] । इस ग्रंथ में अन्यत्र इसे सूर्य का पुत्र अंशावतार कहा गया है । इसके अमात्य का नाम द्विविद था [भा. १०.६७.२] । इसके एवं इसकी वानरसेना की सहायता के कारण ही, राम दाशरथि लंकाधिपति रावण जैसे बलाढ्य राक्षस पर विजय पा सका । इस कारण समस्त राजकथाओं में यह अमर हो चुका है ।
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पु. किष्किंधेचा वानरराजा व श्रीरामाचा मित्र . - वि . चांगल्या मानेचा . ( सु + ग्रीव )
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सुग्रीव n. यह वालिन् का छोटा भाई था, जिस कारण वालिन् के सभी पराक्रमों में एवं साहसों में यह उसकी सहायता करता था । आगे चल कर मायाविन् राक्षस के युद्ध में वालिन् एक वर्ष तक किष्किंधा नगरी में वापस न आया । इस कारण उसे मृत समझ कर, यह किष्किंधा नगरी का राजा बन गया, एवं वालिन्पत्नी तारा को इसने पत्नी के रूप में स्वीकार किया । एक वर्ष के पश्चात् वालिन् किष्किंधा नगरी लौट आया, एवं इसे भ्रातृद्रोही शत्रु मान कर उसने इसे किष्किंधा राज्य से बाहर निकाल दिया । पश्चात् यह विजनवासी बन कर इधर उधर घूमने लगा । इस समय इसने समस्त भूमंडल का भ्रमण किया, एवं अंत में यह ऋष्यमृक पर्वत पर आ कर रहने लगा, जो स्थान वालि के लिए अगम्य था [वा. रा. कि. ४६] ; वालिन् देखिये ।
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सुग्रीव n. आगे चल कर ऋष्यमूक पर्वत पर, सीता की खोज के लिए आये रामलक्ष्मण से इसकी भेंट हुई । वहाँ अग्नि को साक्ष रख कर इन्होंनें आपस में मित्रता प्रस्थापित की, जिसके अनुसार इसने सीताशोध के कार्य में राम की सहायता करने का, एवं राम ने वालिन् को वध कर इसे किष्किंधा का राजा बनाने का आश्वासन दिया ।
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