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जमिनी | Jaimini

Jaimini  
Variations : Jaim.

अनिमित्तलिपि   अनुप्रसर्पिन्   अनूत्थातृ   अन्तःक्रतु   अन्यार्थ   अभिसंख्य   अभिसम्बन्ध   अभ्यावृत्ति   अभ्युदय   अभ्युदयेष्टि   अमुख्य   अयक्ष्यमाण   अयथार्थम्   अयाज्यत्व   अयूप   अरूपत्व   अर्थकृत   अर्थद्रव्यविरोध   अर्थलोप   अर्थैकत्व   अवघात   अवचन   अवर्जनीयता   अवर्जनीयत्व   अवसर्ग   अविकार   अविज्ञेय   अविभक्तत्व   अविशेषात्   अवैद्य   अव्यतिरेक   अव्यवाय   अशब्द   अशाब्द   अशास्त्र   अशेषत्व   अश्रुत   असंनिधि   असंबन्ध   असंयुक्त   असंयोग   अस्थान   अहर्गण   आख्यातिक   आदान   आश्रयिन्   इष्टित्व   उत्थान   उत्पत्ति   उत्पत्तिवाक्य   उत्पन्न   उत्पादयितव्य   उत्सर्ग   उद्वृषभयज्ञ   उपगा   उपदेश   ऋत्विक्फल   एकचिति   एकदेशत्व   एकवाक्य   एकश्रुति   एकस्तोम   ऐककर्म्य   ऐककाल्य   ऐकशब्द्य   ऐकार्थ्य   ऐतिशायन   औत्पत्तिक   औपभृत   औपानुवाक्य   कामुकायन   काम्यत्व   कार्ष्णाजिनि   कृतत्व   कृतदेश   कौण्डिन्यक   क्रमक   क्रियार्थ   क्रियार्थत्व   क्रीतत्व   क्षाम   खण्डदेव   गीति   गुणवाद   ग्रह   ग्रहेष्टक   घटक   घटित   घटितत्व   चमन   चमसिन्   चम्   चोदितत्व   जभ्   जरद्गव   ज्ञप्ति   ज्ञापित   तत्त्व   तत्संस्कारार्थत्व   तदर्थ   तद्गुणत्व   तद्धर्मन्   तद्भूत   तद्रूप   तद्विकार   तन्निमित्तत्व   तात्पर्यक   तादर्थ्य   तुल्यत्व   तुल्यश्रुति   दण्डोपानह   दधिग्रह   दर्शन   दशत्व   दीक्षित   दीक्षितत्व   दूषण   देवशब्द   द्रव्यवत्त्व   द्वैयहकाल्य   द्व्यहकाल   द्व्याधान   द्व्याम्नात   धर्ममात्र   धर्मोपदेश   नित्यकर्मन्   निरवदान   निरसन   पञ्चशराव   पर   परिसंख्या   परिसमापनीय   परिसमापयितव्य   परीष्टि   पारदौर्बल्य   पुनरभ्युन्नीत   पूरणीय   पूर्वत्व   पौरुषेयत्व   प्रकृति   प्रख्या   प्रतिपत्ति   प्रतिहोम   प्रत्ययित   प्रत्यर्थम्   प्रत्येक   प्रवृत्तत्व   प्रापण   प्रासन   फलकाम   फलचमस   फलनिर्वृत्ति   फलवत्   फलवत्ता   फलसंयोग   फलार्थित्व   भावशब्द   भावार्थ   भू   भेरीघ्नत्   मूलक   यजिमत्   यथाप्रदानम्   यावज्जीविक   यूपाङ्ग   योगसिद्धि   रचन   लभन   लोकम्पृणा   लोकवत्   लोहितोष्णीषता   वर्णान्तर   वषट्करण   वाक्यभेद   वाक्यशेष   विध्यपराध   विप्रगीत   विशदय   विशय   वृष्टिकामना   व्यपवर्ग   व्यवधारण   व्यवहार   व्यूर्ध्वभाज्   शेषत्व   शेषभूत   षट्चिति   संतर्दन   संनियम   संयवन   संस्कर्तृ   संस्कारक   संस्कृतत्व   सप्तदशारत्नि   सप्तदशारत्निता   समवाय   समानयन   सर्वतोदिक्क   सर्वरूप   सर्वार्थम्   सांतपनीया   साधनीभूत   सामान्य   साम्प्रदायिक   सारस्वत   सार्वकाम्य   सिषाधयिषु   सौमिक   स्तोत्रकारिन्   स्वदान   स्ववत्   हाडी   
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