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वातरशन n. नग्न मुनियों का एक समुदाय [ऋ. १०.१३६.१०२] ;[तै. आ. १.२३.२, २४.४, २.७.१] । इससे प्रतीत होता है कि, भारत में आज दिखाई देनेवाले नग्न गोसाइयों की परंपरा काफी पुरातन है । ऋग्वेद में निम्नलिखित ऋषियों को ‘वातरशन’ उपाधि प्रदान की गई हैः- ऋष्यशृंग, एतश, करिक्रत, जूति, वातजूति, विप्रजूति [ऋ. 10.136] ।
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वात—रशन mfn. amfn. (
वा॑त-) wind-girt, having (only) air for a girdle (said of मुनिs and ऋषिs), [RV.] ; [TĀr.]
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वात—रशन m. m. a naked monk (=
दिग्-अम्बर, दिग्-वासस्), [BhP.]
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patr. of seven ऋषिs (viz. of ऋष्य-शृङ्ग, एतश, करिक्रत, जूति, वात-जूति, विप्र-जूत, and वृषाणक), [RAnukr.]
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