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n. चंपकापुरी के हंसध्वज राजा का एक दुष्टकर्मा पुरोहित । इसे शंख नामक एक भाई था, जो इसीके ही समान हंसध्वज राजा का पुरोहित था, एवं इसीके ही समान दुष्टबुद्धि था । पाण्डवों का अश्वमेधीय अश्व हंसध्वज राजा के द्वारा रोका गया, जिस कारण उसका अर्जुन के साथ युद्ध हुआ । उस समय हंसध्वज राजा ने अपने सैन्य को ऐसी आज्ञा दी कि, हरएक सैनिक सूर्योदय पूर्व सैन्यसंचलन के लिए उपस्थित हो, एवं जो इस आज्ञा का भंग करेगा उसे उबलते तेल में डाला दिया जाए । दूसरे दिन हंसध्वज राजा के पुत्र सुधन्वन् को ही संचलन के लिए आने में देर हुई, एवं राजा के आज्ञानुसार सजा भुगतने की आपत्ति आई । अपने पुत्र को इतनी कडी सजा देने में राजा का मन हिचकिचाने लगा । किन्तु इस दुष्टबुद्धि पुरोहित ने राजा को यह कार्य करने पर विवश किया । फिर राजा की आज्ञानुसार, सुधन्वन् को उबलते तेल में डाला गया, किन्तु वह सुरक्षित ही रहा । फिर तेल बराबर उबला नहीं है, इस आशंका से इसने एक नारियल तेल में छोड दिया । तत्काल उस नारियल के दो टुकडे हो कर, उनके द्वारा यह एवं उसके भाई शंख का कपालमोक्ष हुआ [जै. अ. १७] ।