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वर नपुसंक नसावा
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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वर-सुंदरी
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वर
Meanings: 368; in Dictionaries: 13
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वधू-वर परीक्षा
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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वर घेणे
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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वर जाणे
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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(वर) नंबर मारणें
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वर-सुन्दरी
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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वर असणे
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बगल वर करणें
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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बगला वर करणें
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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वर येणे
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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घरच्या भाकरी घर, दोन पैसे वर
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खोटा तो खोटा आणि वर फुकाचा ताठा
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चाक वर येणें
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मान वर करणें
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मान वर काढणें
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वर डोकें काढणें
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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अंगाईगीत - पालक पाळयीना वर खेळना प्...
मोजक्या आणि शेलक्या शब्दांचा वापर करून निर्माण झालेलें अंगाईगीत काव्य प्रामाणिकपणें मनांत आलेल्या आईच्या भावनेचा आविष्कार करते.
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माझेंच नाक वर
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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चोर तर चोर आणि वर शिरजोर
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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वर करणे
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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वर पाहणें
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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वर वर्हाडास गेलें तरी घोडें करड
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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चार दिशांस चार व वर सूर्य
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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याचकाचा हात खालीं आणि दात्याचा हात वर असतो
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वर येणें
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
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आरती ब्राह्मणाची - सुरवर वर मुनिवर वंदिती द्...
ऐतिहासिक पुराव्यांनुसार, समर्थ रामदासांनी रचलेल्या दासबोध या ग्रंथाचे लेखनिक कल्याणस्वामी होते.
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संत जनाबाई - वर स्कंधी ऋषि तो वाहिला ।...
जनाबाई, दासीपणाची कामे करीत असताना तिच्या मनाने, अभंगांतून आध्यात्मिक प्रगती आणि पारमार्थिक उन्नती केली.
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संत जनाबाई - ऐसा वर देई हरी । गांई नाम...
जनाबाई, दासीपणाची कामे करीत असताना तिच्या मनाने, अभंगांतून आध्यात्मिक प्रगती आणि पारमार्थिक उन्नती केली.
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तळाशी पोहोचल्याशिवाय वर बुडबुडे येत नाहीत
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काख वर करणें
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
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काखा वर करणें
Meanings: 5; in Dictionaries: 2
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तळीं भोंक, वर झांकण
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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अन्नाचा मारलेला खालीं पाही तरवारीचा मारलेला वर पाही
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.503695 | Lang: NA
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पडलों तरी आपलें (माझें) च नाक वर
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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अंगाईगीत - पाळणा पाचूंचा वर खेळणा म...
मोजक्या आणि शेलक्या शब्दांचा वापर करून निर्माण झालेलें अंगाईगीत काव्य प्रामाणिकपणें मनांत आलेल्या आईच्या भावनेचा आविष्कार करते.
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चतुःश्लोकी भागवत - ब्रह्मदेवाला वर
मराठी बहुजनसमाजांत श्रद्धा, भक्ति, प्रेम, समता आणि विश्वबंधुत्वाचें अतूट नाते निर्माण करणारे सत्पुरूष म्हणजे पैठणचे महाभागवत श्रीएकनाथमहाराज हेच होत.
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लक्ष्मीनारायण स्तोत्रम् - ध्यानम् चक्रं विद्या वर घ...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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ये पहाटचा वर तारा
भा.रा.तांबे यांच्या कविता अत्यंत हळुवार असून त्या मनाला भिडतात
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लावणी - पाउस वर पडतो , अरे रात्र ...
शाहीर प्रभाकर महाराष्ट्रातील कवी मंडळातील शाहीर कवी म्हणून ओळखले जातात.
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धर्मशास्त्रदृष्ट्या एकंदर गुणांची यादी
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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वधूवरांच्या ‘ गुणां ’ ची तुलना
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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वराच्या गुणांसंबंधाने अनुमाने
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मनुकालापूर्वी स्वयंवरपद्धती बंद होती
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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पुनर्विवाहास वेदाधार आहेत
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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कुले वर्ज्य करण्याची कारणे
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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गोत्र व प्रवर यांचे भेद व संख्या
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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प्राजापत्य विवाह
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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तात्पर्यरूपाने वराचे गुण
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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