हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|रानी रूपकुँवरिजी|
प्रभुके दो ही दास हैं साँ...

भजन - प्रभुके दो ही दास हैं साँ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


प्रभुके दो ही दास हैं साँचे ॥

नेमी होय चाहि हो प्रेमी होय न मनके काँचे ।

प्रथम भक्ति प्रेमी जन पावत दूजे नेमी राँचे ॥

प्रेम भाव लखि ब्रजगोपिनको तिनके सँग प्रभु नाँचे ।

रूपकुँवरि यह सत्य जान लो हरि साँचेको साँचे ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 23, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP