हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|रानी रूपकुँवरिजी|
श्याम छबिपर मैं वारी वारी...

भजन - श्याम छबिपर मैं वारी वारी...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


श्याम छबिपर मैं वारी वारी ॥

देवन माहीं इंद्र तुमहीं, हौ उडुगण बीच इंद्र उजियारी ।

सामवेद वेदनमें तुमहीं, हौ सुमेरु पर्वतन मझारी ॥

सरितन गंगा, वृक्षन पीपर, जल आशयमें सागर पारी ।

देव-ऋषिनमें नारद-स्वामी, कपिल मुनी सिद्धन सुखकारी ॥

उच्चैश्रवा हयनमें तुमहीं, गज ऐरावत तुमहिं मुरारी ।

गौवन कामधेनु, सर्पनमें बासुकि, बज्र आप हथियारी ॥

मृगन मृगेन्द्र, गरुड़ पक्षिनमें, तुमहीं मीन सदा जलचारी ।

रूपकुँवरि प्रभु छबिके ऊपर, तन मन धन सब है बलिहारी ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 23, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP