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प्रभुजी ! यह मन मूढ़ न मा...

भजन - प्रभुजी ! यह मन मूढ़ न मा...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


प्रभुजी ! यह मन मूढ़ न माने ॥

काम क्रोध मद लोभ जेवरी ताहि बाँधि कर ताने ।

सब बिधि नाथ याहि समुझायौ नेक न रहत ठिकाने ॥

अधम निलज्ज लाज नहिं याको जो चाहे सोइ ठाने ।

सत्य असत्य धर्म अरु अधरम नेक न याहि लजाने ।

दीन जानि प्रभु रूपकुँवरिकौ सब बिधि नाथ निभाने ॥

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Last Updated : December 23, 2007

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