कामाख्या दर्शन - कम्बलेश्वर

कामाख्या देवी का दूसरा नाम हर गौरी मूर्ती या भोग मूर्ती है ।

कम्बलेश्वर

कामाख्या देवी के मन्दिर के चारों ओर पर्वत के ऊपर भिन्न - भिन्न स्थानों में दशमहाविद्या के मन्दिर में देवी के नव - योनिपीठ के अन्तर्गत अन्य सातपीठ - स्थान विद्यमान हैं । पंचानत के पाँचों मुख की ओर पाँच शिवमन्दिर अवस्थित हैं । कम्बलेश्वर नाम का विष्णु - मन्दिर देवी मन्दिर के सन्निकट अवस्थित हैं । यहाँ भगवान् विष्णु कम्बलाख्य नाम से प्रसिद्ध हैं । इसके बाहर भी कामेश्वर और सिद्धेश्वर के मन्दिर के बीच में केदार क्षेत्र और उक्त दो मन्दिरों के दक्षिण प्रान्त में कुछ दूरी पर वन के बीच वनवासिनी, जयदुर्गा तथा ललिता - कान्ता के नामसे तीन शिलापीठ विद्यमान हैं ।


कम्बलेश्वर प्रणाम मन्त्र

नमो नमस्ते देवेश श्याम श्रीवत्सभूषित ।
लक्ष्मीकान्त नमस्तेऽस्तु नमस्ते पुरुषोत्तम ॥
देवदानव गन्धर्वपादपदमार्चित प्रभो ।
नमो बरदालिंगाय कम्बलाय नमो नमः ॥


अनुज्ञा मन्त्र

नमस्ते कम्बलेशाय महाभैरवरुपिणे ।
अनुज्ञां देहि मे नाथ कामाख्या दर्शनं प्रति ॥

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Last Updated : July 10, 2009

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