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बैरन नींद काहांसे आई । सो...

कबीर के दोहे - बैरन नींद काहांसे आई । सो...

कबीर के दोहे

हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है।
Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi".


बैरन नींद काहांसे आई । सोई सोई सारी उमर गमाई ॥ध्रु०॥

नींद कहे मै जमकी दासी येक हात मुद्गल येक हात फांसी ॥ बैरन०॥१॥

नींद कहे मैं सबसे भारी । ब्रह्मा विष्णु शंकर नहीं छोरी ॥ बैरन०॥२॥

कहे कबीर कोई गुरु पद जागे । उन नगरीकूं डंक न लागे ॥ बैरन०॥३॥

२७४.

तुम गरीबन्नवाजरे । आपने बंदेपर मेहेर करो आजरे ॥ध्रु०॥

तूंहि भाग्यवंत तूंहि पृथ्वीका पालरे ॥१॥

किरपा कर और माया धर मुजपर मिले ये सरिये मेरा काजरे ॥२॥

दास कबीर सुन गुरु निरंजन गिरिधाररे सुन सिरताजरे ॥३॥

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Last Updated : January 07, 2008

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