हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|कबीर के दोहे|कबीर के दोहे २०१ से २५०|
चंद्र खिलाये है गगनमें रे...

कबीर के दोहे - चंद्र खिलाये है गगनमें रे...

कबीर के दोहे

हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है।
Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi".


चंद्र खिलाये है गगनमें रेन चकोर है चेनमें ॥ध्रु०॥

सती तीरीया सतमें राजी तपशी राजी वनमें ।

अंबुके डालीये कोयल राजी सूम राजी धनमें ॥चंद्र०॥१॥

जलभीतरमें मीन राजी मैना राजी जंगलमें ।

दास कबीर भजनमें राजी जो हाकीम राजी आमलमें ॥चंद्र०॥२॥

N/A

References : N/A
Last Updated : January 07, 2008

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP