हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|कबीर के दोहे|कबीर के दोहे १५१ से २००|
राम रहीम करीम केशव अलख ना...

कबीर के दोहे - राम रहीम करीम केशव अलख ना...

कबीर के दोहे

हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है।
Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi".


राम रहीम करीम केशव अलख नाम एक साचा है ।

जिसकूं तुम बिसमिल्ला कहते । विष्णु हमारे सांई है ॥ध्रु०॥

बम्हन होकर जनवा पेने ब्रह्मनिकूं क्या पेहेनारे ।

जनम जनमकी घरमें भुजरनी । उनी परसा तुनें खायारे ॥२॥

सुंता करके पाक बन बैठे बीबीकूं क्या कियारे ।

खोलो किताबा साचो मिया काजी आधा हिंदु घरमेरे ॥३॥

कोई कहे करवा कोई कहे बदना । करवा बदना एकही है ।

कहत कबीरा सुनो नर अंधे । हरी हजरत दो एकही है ॥४॥

N/A

References : N/A
Last Updated : January 07, 2008

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP