हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|दासबोध हिन्दी अनुवाद|भीमदशक| महंतलक्षणनाम भीमदशक सिद्धांतनिरूपणनाम चत्वारदेवनिरूपणनाम सिकवणनिरूपणनामः विवेकनिरूपणनाम राजकारणनिरूपणनाम महंतलक्षणनाम चंचलनदीनिरूपणनाम अंतरात्माविवरणनाम उपदेशनाम निस्पृहवर्तणुकनाम समास छठवां - महंतलक्षणनाम ‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है । Tags : dasbodhramdasदासबोधरामदास समास छठवां - महंतलक्षणनाम Translation - भाषांतर ॥ श्रीरामसमर्थ ॥ शुद्ध स्वच्छ लिखें । लिखकर शुद्ध खोजें । खोजकर शुद्ध पढ़ें । चूकें नहीं ॥१॥ अव्यवस्थित मात्रायें नेमस्त करें । शैली जानकर सुदृढ धरें । रंग उचित भरें । नाना कथाओं में ॥२॥ जानने का कह न सके । कहने का नियमित न रहे । समझे बिना कुछ न आये । किसी को एक ॥३॥ हरिकथा निरूपण । सटीकता से राजकारण । व्यवहार के लक्षण । वे भी हों ॥४॥ पूछना जाने कहना जाने । अर्थातर करना जाने । सभी का रखना जाने । समाधान ॥५॥ दीर्घ सूचना पहले ही समझे । सावधानी से तर्क प्रबल होये । जान जानकर ही निथरे । यथायोग्य ॥६॥ऐसा जाने जो समस्त । वही महंत बुद्धिवंत । इससे अलग अंतवंत । सारे के सारे ॥७॥ ताल समय तानमान । प्रबंध कविता गूढ़ बचन । मजलिसी के नाना चिन्ह । सूझते जिसे ॥८॥ जो एकांत के लिये तत्पर । पहले ही रखे पढ़कर । अथवा खोजे अर्थातर । ग्रंथ गर्भ के ॥९॥ पहले ही सीखकर जो सिखाये । वही श्रेष्ठ पदवी पाये । उलझे लोगों को राह दिखाये । विवेकबल से ॥१०॥अक्षर सुंदर पढ़ना सुंदर । बोलना सुंदर चलना सुंदर । भक्ति ज्ञान वैराग्य सुंदर । करके दिखायें ॥११॥जिसे यत्न ही प्रिय लगे । नाना प्रसंगों में कर्तृत्व दिखाये । ढीठता से प्रगट होये । कभी छिपे नहीं ॥१२॥संकट में व्यवहार जाने । उपाधि में समरस होना जाने । अलिप्तता से रखना जाने । स्वयं को ॥१३॥ है तो वह सर्व ठायी। देखने पर कहीं नहीं । जैसे अंतरात्मा जगह पर ही । गुप्त होता ॥१४॥ उससे अलग कुछ भी नहीं । देखने जाओ तो दिखे नहीं । व्यवहार करता न दिखकर भी । प्राणीमात्रों से ॥१५॥ वैसे ही यह भी नाना प्रकार से । बहुत जनों को सयाना करे । नाना विद्याओं का विवरण करें । स्थूल सूक्ष्म में ॥१६॥ स्वयं के लिये सयाने होते । वे सहज ही मान्य करते । ज्ञातापन की महती है । इस तरह ॥१७॥ रखना जाने नीतिन्याय । न करे न करवाये अन्याय । कठिन प्रसंगों में उपाय । करना जाने ॥१८॥ ऐसा पुरुष धारणा का । वही आधार बहुतों का । कहे दास रघुनाथ का । गुण ग्रहण करें ॥१९॥ इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे महंतलक्षणनाम समास छठवां ॥६॥ N/A References : N/A Last Updated : February 14, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP