हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|दासबोध हिन्दी अनुवाद|गुणूपनाम| आशकानाम गुणूपनाम आशकानाम ब्रह्मनिरूपणनाम निःसंगदेहनिरूपणनाम जाणपणनिरूपणनाम अनुमाननिरसननाम गुणरूपनिरूपणनाम विकल्पनिरसननाम देहांतनिरूपणनाम संदेहवारणनाम स्थितिनिरूपणनाम समास पहला - आशकानाम ‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है । Tags : dasbodhramdasदासबोधरामदास समास पहला - आशकानाम Translation - भाषांतर ॥ श्रीरामसमर्थ ॥ निराकार याने क्या । निराधार याने क्या । निर्विकल्प याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥१॥ निराकार याने आकार नहीं । निराधार याने आधार नहीं । निर्विकल्प याने कल्पना नहीं । परब्रह्म के लिये ॥२॥ निरामय याने क्या । निराभास याने क्या । निरावयव याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥३॥ निरामय याने जलमय नहीं । निराभास याने भास ही नहीं । निरावयव याने अवयव नहीं । परब्रह्म को ॥४॥ निःप्रपंच याने क्या । निःकलंक याने क्या । निरूपाधि याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥५॥ निःप्रपंच याने प्रपंच नहीं । निःकलंक याने कलंक नहीं । निरूपाधि याने उपाधि नहीं । परब्रह्म को ॥६॥निरूपम्य याने क्या । निरालंब याने क्या । निरापेक्षा याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥७॥ निरूपम्य याने उपमा नहीं । निरालंब याने अवलंबन नहीं । निरापेक्षा याने अपेक्षा नहीं । परब्रह्म को ॥८॥ निरंजन याने क्या । निरंतर याने क्या । निर्गुण याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥९॥ निरंजन याने अंजन ही नहीं । निरंतर याने अंतर नहीं । निर्गुण याने गुण ही नहीं । परब्रह्म को ॥१०॥निःसंग याने क्या । निर्मल याने क्या । निश्चल याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥११॥ निःसंग याने संग ही नहीं । निर्मल याने मल ही नहीं । निश्चल याने चलन ही नहीं । परब्रह्म को ॥१२॥ निःशब्द याने क्या । निर्दोष याने क्या । निवृत्ति याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥१३॥ निःशब्द याने शब्द ही नहीं । निर्दोष याने दोष ही नहीं। निवृत्ति याने वृत्ति ही नहीं । परब्रह्म को ॥१४॥निःकाम याने क्या । निर्लेप याने क्या । निःकर्म याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥१५॥ निःकाम याने काम ही नहीं । निर्लेप याने लेप ही नहीं । निःकर्म याने कर्म ही नहीं । परब्रह्म को ॥१६॥अनाम्य याने क्या । अजन्मा याने क्या । अप्रत्यक्ष याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥१७॥ अनाम्य याने नाम ही नहीं । अजन्मा याने जन्म ही नहीं । अप्रत्यक्ष याने प्रत्यक्ष नहीं । परब्रह्म वह ॥१८॥अगणित याने क्या । अकर्तव्य याने क्या । अक्षय याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥१९॥ अगणित याने गणित नहीं । अकर्तव्य याने कर्तव्यता नहीं । अक्षय याने क्षय ही नहीं । परब्रह्म को ॥२०॥अरूप याने क्या । अलक्ष्य याने क्या । अनंत याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥२१॥ अरूप याने रूप ही नहीं । अलक्ष्य याने लक्ष्यता नहीं । अनंत याने अंत ही नहीं। परब्रह्म को ॥२२॥ अपार याने क्या । अढल याने क्या । अतर्क्स याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥२३॥ अपार याने पार ही नहीं । अढल याने ढलता ही नहीं । अतर्क्स याने न होता तर्क में भी । परब्रह्म वह ॥२४॥ अद्वैत याने क्या । अदृश्य याने क्या । अच्युत याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥२५॥ अद्वैत याने द्वैत ही नहीं । अदृश्य याने दृश्य ही नहीं । अच्युत याने च्युत ना हो पद से कभी । परब्रह्म वह ॥२६॥ अछेद याने क्या । अदाह्य याने क्या । अक्लेद याने क्या । मुझे निरूपित करें ॥२७॥ अछेद याने छेदा न जायें । अदाह्य याने जले ना । अक्लेद याने भीगे भिगे ना । परब्रह्म वह ॥२८॥ परब्रह्म याने सबसे परे । उसे देखो तो स्वयं ही वे। यह समझे अनुभव मत से । सद्गुरू करने पर ॥२९॥इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे आशंकानाम समास पहला ॥१॥ N/A References : N/A Last Updated : February 14, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP