हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|स्नानसे पूर्वके कृत्य|दन्तधावन-विधि| निषिध्द काल दन्तधावन-विधि दातौन निषिध्द काल निषिध्द काल प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा निषिध्द काल Translation - भाषांतर (ग) निषिध्द काल-प्रतिपदा, षष्ठी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी अमावास्या, पूर्णिमा, संक्रान्ति, जन्मदिन, विवाह, उपवास, व्रत, रविवार और श्राध्दके अवसरपर दातौन करना निषिध्द है । अत: इन दिनोंमें दातौन न करे । रजस्वला तथा प्रसूतकी अवस्थामें भी दातौनका निषेध है ।(घ) निषिध्द कालमें दाँतोंके धोनेकी विधि-जिन-जिन अवसरोंपर दातौनका निषेध है, उन-उन अवसरोंपर विहित वृक्षोंके पत्रोंसे या सुगन्धित दन्तमंजनोंसे दाँत स्वच्छ कर लेना चाहिये । मंजन अनामिका एवं अँगूठेसे लगाना उत्तम है । अन्य दो अंगुलियोंसे भी मंजन किया जा सकता है, किंतु तर्जनीसे करना सर्वथा निषिध्द है । निषिध्द दातौनसे दाँत धोनेका निषेध है, जीभीका निषेध नहीं है । इसलिये निषिध्द अवसरोंपर भी जीभी तो करनी ही चाहिये । दातौनके बाद यदि किसी तरह शिखा खुल गयी हो तो गायत्री-मन्त्रसे बाँध लेनी वाहिये ।(ड़) मंजन --उपर्युक्त वचनोंसे स्पष्ट है कि शास्त्रने कुछ अवसरों या तिथियोंपर दातौनका निषेध किया है, पर उनमें मंजनका विधान है । दाँतसे स्वास्थ्यका गहरा सम्बन्ध है, इसीलिये शास्त्रोंके ये विधि-निषेध हैं । N/A References : N/A Last Updated : November 25, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP