हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा| फल कथन नित्य कर्म पूजा स्नानसे पूर्वके कृत्य स्नान संध्या-प्रकरण पञ्चमहायज्ञ देव-पूजा-प्रकरण (देवयज्ञ) बलिवैश्वदेव (भूतयज्ञ) अतिथि (मनुष्य)-यज्ञ विशिष्ट पूजा-प्रकरण देव-पूजामें विहित एवं निषिध्द पत्र-पुष्प अनुक्रमणिका फल कथन संक्षिप्त पुण्याहवाचन नित्यहोम-विधि नित्य कर्म पूजा - फल कथन देवी,देवता,पूजा,devi,devata,pooja Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा नित्य कर्मका पूजा फल कथन Translation - भाषांतर लम्बोदरं परमसुन्दरमेकदन्तं रक्ताम्बरं त्रिनयनं परमं पवित्रम् ।उद्यद्दिवाअकरनिभोज्ज्वलकान्तिकान्तं विघ्नेश्वरं सकलविघ्नहरं नमामि ॥गृहस्थके नित्यकर्मका फल - कथनअथोच्यते गृहस्थस्य नित्यकर्म यथाविधि ।यत्कृत्वानृण्यमाप्नोति दैवात् पैत्र्याच्च मानुषात् ॥शास्त्रविधिके अनुसार गृहस्थके नित्यकर्मका निरुपण किया जाता है, जिसे करके मनुष्य देव - सम्बन्धी, पिटृ - सम्बन्धी और मनुष्य - सम्बन्धी तीनों ऋणोंसे मुक्त हो जाता है ।'जायमानो वै ब्राह्मणस्त्रिभिऋणवा जायते' ( तै० सं० ६/३/१०/५) के अनुसार मनुष्य जन्म लेते ही तीन ऋणोंवाला हो जाता है । उससे अनृण होनेके लिये शास्त्रोनें नित्यकर्मका विधान किया है । नित्यकर्ममें शारीरिक शुध्दि, सन्धयावन्दन, तर्पण और देव - पूजन प्रभृति शास्त्रानिर्दिष्ट कर्म आते हैं । इनमें मुख्य निन्मलिखित छ: कर्म बताये गये हैं---सन्ध्या स्नानं१ जपश्चैव देवतानां च पूजनम् ।वैश्वदेवं तथाऽऽतिथ्यं षट् कर्माणि दिने दिने ॥(बृ० प० स्मृ० १ । ३९)मनुष्यको स्नान, सन्ध्या, जप, देवपूजन, बलिवैश्वदेव और अतिथि-सत्कार -----ये छ: कर्म प्रतिदिन करने चाहिये । N/A References : N/A Last Updated : November 25, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP