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२६

   { सव्वीस }
Script: Devanagari

२६

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   See : छब्बीस, छब्बीस

२६

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   See : सव्वीस, सव्वीस, सव्वीस

२६

Sanket Kosh | Marathi  Marathi |   | 
सव्वीस गुण (गोष्टी) उपासनेस आवश्यक   
१ गीत, २ वाद्य, ३ नृत्य, ४ पुराणपाठ, ५ धूप, ६ दीप, ७ नैवेद्य, ८ पुष्प, ९ गंध, १० चंदनधारण, ११ फल, १२ अर्घ्य, १३ श्रद्धा, १४ दान, १५ इंद्रियसंयम, १६ सत्यनिष्ठा, १७ निद्राहीनता, १८ आनंद प्रकाश, १९ क्रियानुष्ठान, २० विस्मय, २१ उत्साह्प्रदर्शन, २२ आळसाचा त्याग, २३ प्रदक्षिणा २४ नमस्कार, २५ नीरांजन आणि २६ आरति, ([स्कंदपुराण])
सव्वीस दैवी गुण   
१ अभय, २ अंतःकरणाची शुद्धता, ३ ज्ञान व कर्म यांविषयीं समानम्न निष्ठा, ४ दातृत्व, ५ दम, ६ यज्ञ, ७ धर्माप्रमाणें आचरण, ८ तप, ९ सरळपणा, १० अहिंसा, ११ सत्य, १२ क्रोध नसणें, १३ (कर्मफल) त्याग, १४ शांति १५ चहाडी न करणें, १६ सर्व भूतांचे टायीं दया, १७ अनासक्ति - निर्लोभता, १८ मनाचें मार्दव, १९ दुराचरणाची खंत, २० चंचलपणा नसणें (स्थिर बुद्धि), २१ तेजस्विता, २२ क्षमा, २३ धैत्य - सहनशीलता, २४ अंतर्बाह्म शुद्धता, २५ द्रोह न करणें आणि २६ दुरभिमान नसणें ([भ. गी. १६-१ ते ३]).
सव्वीस प्राचीन कोशग्रंथ   
१ मेदिनी, २ अमरमाला, ३ त्रिकांड, ४ रत्नमालिका, ५ रतिदेव, ६ भागुरि, ७ व्याडि, ८ शब्दार्णव, ९ द्विरूप, १० कलिंग, ११ रमस, १२ पुरुषोत्तम, १३ दुर्ग, १४ अभिधानमाला, १५ संसारावर्त, १६ शाश्वती १७ विश्व, १८ बोपालित, १९ वाचस्पति, २० हलायुध, २१ हारावली, २२ साहसांक, २३ विक्रमादित्य, २४ हेमचंद्र, २५ रुद आणि २६ अमर. हे सव्वीस प्राचीन संस्कृत कोशग्रंथ होत. एते कोशाः समाख्याताः सख्या षाडिं‌‍वशतिः स्मृताः ॥ इति कोशनामानि। (एकाक्षर कोश).
सव्वीस व्रह्मवादिनी स्त्रिया   
१ घोषा, २ गोधा, ३ विश्ववारा, ४ अपाला, ५ उपनिषत् ‌, ६ ब्रह्मजाया जुहू, ७ अदिति, ८ इंद्राणी, ९ इंद्रमाता, १० सरमा, ११ रोमशा, १२ ऊर्वशी, १३ लोपामुद्रा, १४ नद्या, १५ यमी, १६ शश्वती, १७ श्री, १८ लाक्षा, १९ सार्पराज्ञी, २० वाक् ‌, २१ श्रद्धा, २२ मेधा, २३ दक्षिणा, २४ रात्री, २५ सूर्या व २६ सावित्री,"रात्री सूर्या च सावित्री ब्रह्मवादिन्य ईरिताः ॥ : ([ऋग्वेद - बृह्ददेवता])

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