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तांड्य ब्राह्मण | प्रौढ ब्राह्मण

तांड्य ब्राह्मण ( इसे पंचविंश, एवं प्रौढ ब्राह्मण भी कहते है );Tāṇḍya-brāhmaṇa;Tāṇḍya-brāhmaṇa  
Variations : तां. ब्रा.; TāṇḍyaBr.; TāṇḍBr.

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दृति   दृषद्वती   देव   देवकोश   देवतल्प   देवपात्रिन्   देवपुर्   देवमलिम्लुच्   देवमुनि   देवराजन्   देवव्रत   देवातिथि   दैव   दैवल   दौरेश्रवस   दौर्भिक्ष   दौष्कृत्य   द्यौतान   द्रविणवत्   द्वादशपुष्कर   द्विगत्   द्विदिव   द्विरिड   द्विरेतस्   द्वैगत   द्व्युदास   द्व्योग   धनतम   धौत   नवनीतपृश्नि   नाथविद्   नाथविन्दु   नानाजन   नानावीर्यता   नार्मेध   निखर्वक   निधनकाम   निधनवत्   निभसद्   निरावह्   निराह   निरुद्ध   निरृछ्   निर्द्युत्   निर्म्रेतुक   निर्या   निर्याच्   निष्किर   निहृ   नीचामेढ्र   नेदिष्ठिन्   नैचुदार   नैतन्धव   नैदाघ   नैपातिथ   नैमिशीय   नैर्दश्य   नोधस्   न्यङ्कु   न्युब्जक   न्युब्जिमत्   न्यूह्   पक्षस्   पक्षिन्   पञ्चरात्र   पञ्चरात्रक   पञ्चविंशब्राह्मण   पतीयस्   पदनिधन   परमेष्ठिता   परस्तराम्   परासिन्   परिचरा   परिचारिन्   परिभुज्   परियत्   परिवर्तिन्   परिशप्   परिशप्त   परिष्टुभ्   परिष्टोभ   परीवर्तम्   पर्यवनुद्   पर्युत्था   पवित्र   पवित्रत्व   पशुमत्   पशुवीर्य   पशुष्ठ   पशुस्तोम   पश्चापिन्   पष्ठवह्   पादावनेज्य   पापवसीयस   पारावत   पार्ण   पावमान   पिपीलिकावत्   पिशङ्ग   पिहिति   पुत्रहत   पुनरभ्यावर्तम्   पुनरादि   पुनर्जीवातु   पुनर्त्त   पुनर्निवर्तम्   पुरस्तात्पृष्ठ्य   पुरुमीढ   पुरुमीळ्हा   पुरुषकाम   पुरुषन्ति   पुरुहन्मन्   पुरोगुरु   पुरोधानीय   पुष्करस्रज्   पुष्प   पूर्वप्रेत   पृष्ठ्य   पौण्डरीक   पौण्य   प्रक्वाण   प्रजहित   प्रज्ञाति   प्रणिनीषेण्य   प्रतितप्   प्रतिदण्ड   प्रतिनोद   प्रतिप्रयुज्   प्रतिवाश्   प्रतिष्टुति   प्रतिष्ठाकाम   प्रतिष्ठापम्   प्रतिहन्   प्रतिहार   प्रतिहृ   प्रत्यवरोहिणी   प्रत्युत्तम्भ   प्रत्युद्यम   प्रत्युद्यम्   प्रत्युपोदित   प्रप्रुथ्   प्रप्रोथ   प्रभूति   प्रष्टिवाहिन्   प्रसिध्   प्रसुत्   प्रहा   प्रह्वाण   प्राण   प्राणवीर्य   प्रायणतस्   प्रायश्चित्तिमत्   प्राशा   प्रास्   प्रास्रवण   प्रेति   प्रोह्   प्लक्ष   बभ्रु   बहिर्निधन   बाहुवीर्य   ब्राह्मणकुमार   भक्ति   भरत्   भस्त्रा   भाल्लवि   भिन्नक्रम   भूमित्व   भूयस्विन्   भूयोक्षर   मधुकशा   मधुश्च्युन्निधन   मध्येपृष्ट   मनस्वती   मनुष्यपात्र   मरुत्स्तोम   महावृक्ष   मह्न्या   मितदक्षिण   मृगधर्म   मृगधर्मन्   मृगसत्त्र   मेथि   यज्ञावकीर्ण   यमलोक   यमातिरात्र   यव्यावती   यामन्   युक्ति   राजन्यर्षि   राजसामन्   रूर   लोकविन्दु   वयित्री   वसुक   वस्निका   वाणवत्   विकाङ्क्ष्   विक्षि   विग्रहण   
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